Shankarananda
सिक्के का मूल्य
आज जो सिक्का चमक रहा हैवह सिक्कापता नहीं कल बाजार में चले भी या नहीं यह भी जरुरी नहीं कि कललोग इसके लिए पसीना बहाएँअपना जीवन खर्च करें औरएक दिन इन्हीं सिक्कों की खातिरखदान में मृत पाए जाएँ।
नमक
था तो चुटकी भर ज्यादालेकिन पूरे स्वाद पर उसी का असर हैसरी मेहनत पर पानी फिर गया अब तो जीभ भी इंकार कर रही हैउसे नहीं चाहिए ऐसा स्वाद जोउसी को गलाने की कोशिश करे गलती नमक की भी नहीं हैउसने तो यही जताया है किचुटकी भर नमक क्या कर सकता है।तुम रोशनी
घड़ी
सब कुछ इसके सामने होता है इसका टिकटिकाना देर तक गूँजता हैयही इसकी पुकार है चुप्पी मेंयही इसका विरोध सब कुछ देखने वाली घड़ीकभी गवाही नहीं देती।