by Guddu Ram
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
गुजरे पलों की छाया में,
मैंने सपनों को सजाया।
बड़ी मुश्किलों से लड़ा मैंने,
आगे बढ़ने का अवसर पाया।
जीवन के रास्तों पर चलते-चलते,
हर मोड़ पर मैंने खुद को पाया।
कुछ गलतियों से सीख मिली,
कुछ कठिनाइयों से मैंने नई राह पायी।
बिखरी हुई ख्वाबों को संवारा,
अपनी हँसी से जीने का अंदाज़ बनाया।
हर दर्द से गुजरते-गुजरते,
मैंने अपनी खुशियों का मकसद पाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
सफलता की है मिसाल मैंने,
खुद को हकीकत में पाया।
धैर्य और समर्पण से जीने से,
अब मैंने खुद को खुदाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
खुशियों की मिठास में भीगते,
मैंने खुद को नए रंग दिखाया।
बीते पलों की यादों के संग,
अब मैंने जीने का तरीका बदल दिया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
जीवन की लहरों में नाचते,
मैंने खुद को स्वतंत्र बनाया।
खुशियों के सफर में चलते-चलते,
अब मैंने अपना सपना पूरा किया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
खुद के निर्णयों का गर्व है मुझे,
मैंने जीवन को खुद ही सजाया।
धन्यवाद ये जीवन तुम्हारा,
इस खुशियों से भरा सफर का जोश बढ़ाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
जीवन के सफलता की गाथा गाते,
मैंने अपने अंतर की गहराई से प्रेम बरसाया।
हर सपने को पंख दिए,
खुशियों से जीने का मन बनाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
जीवन की मधुरता का स्वाद चखते,
मैंने खुद को नई राह दिखाया।
स्वयं को प्यार करने से मिली,
खुशियों का नया सफर दिखाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
जीवन के सफलता के संगी होकर,
मैंने खुद को नया जीवन बनाया।
आत्मविश्वास से चलते चलते,
खुद को समर्थ और विश्वासयोग्य पाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
धन्यवाद जीवन को तुम्हारा,
मैंने खुद को खुशियों से सजाया।
हर गम को हँसकर मिलाया,
खुद को सारे रंगों से भर दिया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
धन्यवाद जीवन को तुम्हारा,
मैंने खुद को खुशियों से सजाया।
जीवन के सफलता का नया संगी बनकर,
खुद को सबकी आँखों में खिलाया।
बस मैंने जीवन को जिया,
खुशियों से सजाया।
जीवन के सफलता का संगी होकर,
मैंने खुद को नया जीवन बनाया।
धन्यवाद जीवन को तुम्हारा,
मैंने खुद को खुशियों से सजाया।