पाठशाला जाने की शिक्षा | मुंशी रहमान खान
पाठशाला जाने की शिक्षा | मुंशी रहमान खान

पाठशाला जाने की शिक्षा | मुंशी रहमान खान

पाठशाला जाने की शिक्षा | मुंशी रहमान खान

दोहा

बड़े भोर उठ कर प्रथम भजिए दीनानाथ।
मातु पिता गुरु बडे़न पद पुनि निज नावहु माथ।। 1 ।।
तड़के बाहर जाए कर आए करहुँ स्‍नानं
खाय कै पहनहु बसन शुभ चलहुँ पाठ स्‍थान।। 2 ।।
जैयो सीधे तुम चले शाला को हर्षात।
नहिं खिलियो कहिं राह में नहिं कहियो कटु बात।। 3 ।।
जाय करहुँ गुरु को नमन बैठहुँ पाठिन पास।
पढ़हु पाठ जो देंय गुरु धर कर हृदय हुलास।। 4 ।।
बिन गुरु आज्ञा जाहु नहिं कहिं शाला से दूर।
नहिं खिलियो उन बाल संग जो छलि कपटी कूर।। 5 ।।
छुट्टी देवैं जब गुरु चलहुँ नाय पद माथ।
करहुँ न झगडा़ राह में आवहु पाठिन साथ।। 6 ।।
जब आवहु निज भवन में सबहिं करहुँ परनाम।
सूखी रूखी खाय कर राज करहुँ विश्राम।। 7 ।।
हैं सुशील बालक वही लडै़ं न गाली देंय
मीठ बचन सुनाय कर प्रेम सहित पढ़ लेंय।। 8 ।।
पढ़ियो बालक चित्त दे विद्या सब गुण खान।
पैहौ धन पद धर्म सुख है साक्षी रहमान।। 9 ।।

Leave a comment

Leave a Reply