पानी | मुंशी रहमान खान
पानी | मुंशी रहमान खान

पानी | मुंशी रहमान खान

पानी | मुंशी रहमान खान

पानी बरसै भूमि पर बहि सरि सागर जाय।
रवि की किरन से भाप बनैं भाप जलद बन जाय।।
भाप जलद बन जाय तुरत पानी बरसावै।
हरी भरी करै भूमि को खेतन अन्‍न भरावै।।
कहैं रहमान ईश गति न्‍यारी महिमा जाय न जानी।
परै अकाल दुकाल जगत महं जो नहिं बरसै पानी।।

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