सेठानी घाट परआज नर्मदा सेमिलने आयाजुड़ा गई आँखें निहारते नर्मदा का निर्मल जलबह गया भीतर का कूड़ा-करकटबहुत संबल मिलानर्मदा के दरस-परस से