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लिखूँगी प्रेम

जब भी लिखूँगीप्रेम पर कोई कवितासमय की बंजर छाती परकुछ उदास पत्ते गिरेंगे जब भी याद करती हुईदेखूँगी अनंत आकाश की ओरकायनात की पलकें बंद होंगीकुछ सफेद मोती झरेंगे जब भी उतारूँगी तुम्हारे नामका दीया अपने शहर की नदी मेंतुम्हारे मन के समंदर मेंमेरी जोड़ी भर आँखेंतुम्हारे मौन किनारों से टकराएँगी मेहँदी के सुर्ख लाल […]