तुम आ जाना
ठीक तब
जब मैं
आग के गर्म
और
पानी के पारदर्शी
होने पर यकीन करना भूलने लगूँ
आ जाना जब मैं
टूटते बिखरने और बस जीते चले जाने को ही
मान लूँ जीवन
तब जब
किसी तारीख को छूते काँप न जाए मन
भींग न जाए आँख
कोरे मन से सोख लिया गया हो
बचा प्यार इंतजार…
आ जाना
कि लंबी सड़कों की देह से
उतार लिए गए कपड़ों सी आहट
की हरी टूटी डाली पर शोक मनाती गौरय्या
विवश हो भूल जाए उड़ान
खोद रही हो पंजों से अँधेरी खोह
और मूँद ले आँखें
खत्म होती कहानियों का बीज
भीगी माटी में साँस लेता प्रेम
ओस भर उम्मीद