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सपने | रमेश पोखरियाल

सपने | रमेश पोखरियाल सपने | रमेश पोखरियाल पूछो जरा इन सपनों से, क्यों चले आते हैं,कहाँ से ये आते हैं, कहाँ चले जाते हैं। कभी किसी स्वर्ण महल मेंयों ही बिठा जाते हैं,कभी बेबस बीहड़ों मेंकहीं छोड़ आते हैं।प्यार कभी देते हमें कहर कभी ढाते हैं,कहाँ से ये आते हैं, कहाँ चले जाते हैं। […]