समय | मनीषा जैन समय | मनीषा जैन सड़कों पर चींटियों सेबेशुमार आदमीसब चुप्पअपने में गुमकोई नहीं बोलता किसी सेसारे हैं बेदम, भौचके, घबराए से कोई नहीं खोलता स्वयं कोसभी चले जा रहे हैं / पता नहीं कहाँ ?समय चलता हुआ तेजी सेठेलता हुआ आदमी कोफिर आदमी चला जाता है पता नहीं कहाँ ? कहते […]
Tag: Manisha Jain
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वे सो जाती हैं | मनीषा जैन
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रोटी | मनीषा जैन
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रोज गूँथती हूँ पहाड़ | मनीषा जैन
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ये बच्चे | मनीषा जैन
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माँ की याद | मनीषा जैन
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मैं खुश हूँ | मनीषा जैन
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पहाड़ों में फूल | मनीषा जैन
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पहाड़ पर चिड़िया | मनीषा जैन
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