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समय | मनीषा जैन

समय | मनीषा जैन समय | मनीषा जैन सड़कों पर चींटियों सेबेशुमार आदमीसब चुप्पअपने में गुमकोई नहीं बोलता किसी सेसारे हैं बेदम, भौचके, घबराए से कोई नहीं खोलता स्वयं कोसभी चले जा रहे हैं / पता नहीं कहाँ ?समय चलता हुआ तेजी सेठेलता हुआ आदमी कोफिर आदमी चला जाता है पता नहीं कहाँ ? कहते […]