होंठ तक पथरा गए | इसाक ‘अश्क’

होंठ तक पथरा गए | इसाक ‘अश्क’

होंठ तक पथरा गए | इसाक ‘अश्क’ होंठ तक पथरा गए | इसाक ‘अश्क’ प्यास के मारेनदी केहोंठ तक पथरा गए। मेघदूतों कीप्रतीक्षा में –थकी आँखेंधूप सहतेस्याह-नीलीपड़ गई शाखें ज्वारखुशबू के चढ़े जो थेस्वतः उतरा गए। फूल सेदिखते नहीं दिनकहकहों वालेतितलियों केपंख तक मेंपड़ गए छाले स्वप्नरतनारे नयन केटूट कर बिखरा गए।

सन्नाटे ठहरे | इसाक ‘अश्क’

सन्नाटे ठहरे | इसाक ‘अश्क’

सन्नाटे ठहरे | इसाक ‘अश्क’ सन्नाटे ठहरे | इसाक ‘अश्क’ हँसीठहाकों के घर परसन्नाटे ठहरे हैं। डूब रहे सबसत्ता केसैलाबी तेवर मेंजंग छिड़ीचौराहों परकुर्सी के चक्कर में फूलकली-किसलय पर भीकाँटों के पहरे हैं। फटेहालफुटपाथों पर हैलोकतंत्र सोतादेखगरीबी-बदहाली कोनहीं कोई रोता धर्मकर्म के अंग-अंगक्षत-विक्षत चेहरे हैं।

धूप का रोग | इसाक ‘अश्क’

धूप का रोग | इसाक ‘अश्क’

धूप का रोग | इसाक ‘अश्क’ धूप का रोग | इसाक ‘अश्क’ लगाधूप का रोग छाँह कोकैसे दिन आए ? कंठों मेंरह गए अजन्मे           छंदों के सोतेहोश उड़ गएऐेसे जैसे           हाथों के तोतेमुश्किल में हैपेड़, पेड़ केआदम कद साए। खुले नयन कोबंद खिड़कियाँ          … Read more

दोमुँहे साए | इसाक ‘अश्क’

दोमुँहे साए | इसाक ‘अश्क’

दोमुँहे साए | इसाक ‘अश्क’ दोमुँहे साए | इसाक ‘अश्क’ जिंदगीअपनी कटीअक्सर तनावों में। एक प्रतिभा कीवजह –           सारा शहर नाराजहर समयहम से रहा –           हम पर गिराई गाज दूब-भीबनकर गड़ी हैकील पाँवों में। दोस्ती केनाम पर कुछ           दो-मुँहे साएहर समयमन की मुँडेरों … Read more

तनाव बहुत हैं | इसाक ‘अश्क’

तनाव बहुत हैं | इसाक ‘अश्क’

तनाव बहुत हैं | इसाक ‘अश्क’ तनाव बहुत हैं | इसाक ‘अश्क’ जीवन तो हैपर जीवन मेंचारों ओर तनाव बहुत हैं। हाथों में बंदूकमनों में –नफरत का तावाजैसे जंगलबोल रहा होबस्ती पर धावा हलचल-तो हैभीड़ भाड़ भीपर पथ में टकराव बहुत हैं। चेहरों मढ़ेमुखौटे नकलीअधरों की भाषा,अपनों तकरह गई सिमट करसुख की परिभाषा बाहर दिखेंभले … Read more

जादू-टोने | इसाक ‘अश्क’

जादू-टोने | इसाक ‘अश्क’

जादू-टोने | इसाक ‘अश्क’ जादू-टोने | इसाक ‘अश्क’ कल तक थींजो कुंद आज वेधारदार हो गईं हवाएँ। सपनों केशहतूती घेरे           उजड़ गए ऐसेयायावरबंजारों केडेरे उजड़े जैसे उठी हाटफूलों-रंगों कीतार-तार हो गईं लताएँ। छंदों केजादू-टोने           छलकाती अमराईएक याद बनशेष रह गई           शीतल जुन्हाई रीते-रस-संदर्भहृदय … Read more

चुटकुलों का | इसाक ‘अश्क’

चुटकुलों का | इसाक ‘अश्क’

चुटकुलों का | इसाक ‘अश्क’ चुटकुलों का | इसाक ‘अश्क’ मंच पर हँसते हुएइन चुटकुलों काक्या करें हम ? स्वाभिमानीधैवतों का –बीच में ही टूट जानाखौफ भरता हैऋषभ का –सप्तकों का रूठ जाना वक्त की बहती नदी केबुलबुलों काक्या करें हम ? हर समयगंधार गाती –बाँसुरी का मौन होनादर्द देता हैबहुत –कोलाहलों के बीच खोना … Read more

खास भी होंगे | इसाक ‘अश्क’

खास भी होंगे | इसाक ‘अश्क’

खास भी होंगे | इसाक ‘अश्क’ खास भी होंगे | इसाक ‘अश्क’ जिंदगी हैतो विरोधाभास भी होंगे।           हम यहाँ सब ठेठ मिट्टी के           खिलौने हैंउम्र भरजिनको स्वयं के           क्रास ढोने हैं भोग-लिप्सा सेलगे संन्यास भी होंगे। भूलकर भीतुम न इनको –      … Read more

खुशहाल है | इसाक ‘अश्क’

खुशहाल है | इसाक ‘अश्क’

खुशहाल है | इसाक ‘अश्क’ खुशहाल है | इसाक ‘अश्क’ पोस्टर विज्ञापनों मेंदेश मेरा, बंधु मेरेफिक्र मत करना           बड़ा खुशहाल है। हर समस्याफाइलों में कैद –           फीतों से बँधी हैयह न कहनासिर्फ यह तो –           भ्रष्ट लोगों की सदी है नृत्य को तैयारहर … Read more

उत्तर दो | इसाक ‘अश्क’

उत्तर दो | इसाक ‘अश्क’

उत्तर दो | इसाक ‘अश्क’ उत्तर दो | इसाक ‘अश्क’ क्या होगासाफ-साफ उत्तर दोकागजी समन्वय के बुनने से। तुमने जोआशा-आकांक्षा जगाई थीउसने है रचा –एक सूनापन-सन्नाटापी गए अभावउम्र का समग्र गंगाजलशेष नहीं –कहने को कहीं ज्वार-भाटा ऐसे में क्या होगाहाथ उठावोट डाल और तुम्हें चुनने से। करने के लिए व्यक्तदर्द के दुसह दुख कोपास नहीं … Read more