चुटकुलों का | इसाक ‘अश्क’
चुटकुलों का | इसाक ‘अश्क’
मंच पर हँसते हुए
इन चुटकुलों का
क्या करें हम ?
स्वाभिमानी
धैवतों का –
बीच में ही टूट जाना
खौफ भरता है
ऋषभ का –
सप्तकों का रूठ जाना
वक्त की बहती नदी के
बुलबुलों का
क्या करें हम ?
हर समय
गंधार गाती –
बाँसुरी का मौन होना
दर्द देता है
बहुत –
कोलाहलों के बीच खोना
जिंदगी के बेमुरव्वत
सिलसिलों का
क्या करें हम ?