होना न होने की तरह | अशोक कुमार पाण्डेय होना न होने की तरह | अशोक कुमार पाण्डेय एक जूतों की माप भले हो जाए एक सीपिता के चश्मों का नंबर अमूमन अलग होता है पुत्र सेजब उन्हें दूर की चीजें नहीं दिखतीं थीं साफबिलकुल चौकस थीं मेरी आँखें जब मुझे दूर के दृश्य लगने […]
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