हँसी के लिए प्रार्थना | अरुण देव हँसी के लिए प्रार्थना | अरुण देव जीवन के जंगल, रेत, पहाड़ मेंकलकल सुनें हम हँसी की नदी का हँसी की चमक मेंधुल जाए मन का कसैलापनहो जाए आत्मा उज्ज्वल यह हँसी निर्बल, निर्धन, निरीह पर न गिरेन इसके छीटें छीटाकशी करें जो रह गए हैं पीछेथक कर […]
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