सावधान | दीपक मशाल
सावधान | दीपक मशाल

सावधान | दीपक मशाल

सावधान | दीपक मशाल

ओ इतिहास की कहानियों के नकचढ़े राजाओं / बादशाहों
जरा और सब्र करो
तुम्हारे चाटुकारों द्वारा लिखी गई तुम्हारी जीवनियों की
जब फिर से पड़ताल होगी
भविष्य के ‘कलई-खोल’ युग में
जब लाइ-डिटेक्टर पर जाँची जाएँगी तुम्हारी महानता की कविताएँ
जब तुम्हारे शेर को अपने नाखूनों से चीर देने के
कारनामों भरे किस्सों की किताबें
दिल के बजाय दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करनेवाले लोग
पोस्टमार्टम टेबल पर धरेंगे
तो तुम्हें भी
होली के किसी महामूर्ख सम्मलेन के विजेता की तरह
यादों में आँखों में बसा लेंगे
नए फ्रेम में सजाकर

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