पहला सफ़ेद बाल | पंकज चतुर्वेदी
पहला सफ़ेद बाल | पंकज चतुर्वेदी

पहला सफ़ेद बाल | पंकज चतुर्वेदी

पहला सफ़ेद बाल 
मुझे दिखा था भोपाल में

याद आया 
बुद्ध के एक जातक के अनुसार 
मिथिला के राजा मखादेव ने 
देखा जब पहला सफ़ेद बाल 
उन्होंने राज्य अपने बेटे को सौंपा 
और स्वयं प्रव्रज्या ग्रहण की

See also  नंबर प्लेट | नीरज पांडेय

इसी तरह एक बार 
अयोध्या में महाराज दशरथ ने 
मुकुट को सीधा करते समय 
दर्पण में देखे सफ़ेद बाल 
और राम के 
राजतिलक का निश्चय किया

और मिलान कुंडेरा की वह स्त्री* 
जो पंद्रह वर्ष बाद 
अपने प्रेमी से मिली 
उसके सफ़ेद हो रहे थे बाल 
इसलिए उसमें प्यार की झिझक थी 
या निर्वसन होने की लज्जा

See also  इनसान | रमानाथ अवस्थी

मानो यह रहस्य खुलने पर 
उसकी सुंदरता का स्मारक गिर जाएगा 
जो इतने लंबे अरसे से 
उस पुरुष की 
आत्मा में सुरक्षित था

मगर आख़िरकार उसने फ़ैसला किया 
प्यार का 
क्योंकि ‘स्मारक उचित नहीं होते’** 
और स्मारकों से 
अधिक महत्वपूर्ण है जीवन

मैं क्या करूँ 
मैं न हो सकता हूँ प्रव्रजित 
न किसी को बना सकता हूँ युवराज 
अलबत्ता सौंदर्य के स्मारक में 
स्वागत है तुम्हारा 
पहले सफ़ेद बाल !

See also  प्रणय-मोक्ष | पुष्पिता अवस्थी

* मिलान कुंडेरा की कहानी ‘पुराने मुर्दे नए मुर्दों को जगह दें’ की नायिका। 
** कुंडेरा का वाक्य।

Leave a comment

Leave a Reply