हिंदी के विभागाध्यक्ष | पंकज चतुर्वेदी

हिंदी के विभागाध्यक्ष | पंकज चतुर्वेदी

हिंदी के विभागाध्यक्ष | पंकज चतुर्वेदी हिंदी के विभागाध्यक्ष | पंकज चतुर्वेदी हिंदी विभाग में एक प्राध्यापक हैं जिन्हें अध्यक्ष जी कहते हैं गणेश जी मानो उनसे शुरू किया जा सकता है कुछ भी एक और हैं सबसे वरिष्ठ और सचमुच विद्वान् शहर में उनके नाम से होती है विभाग की पहचान अध्यक्ष जी उन्हें कहते हैं पंडित जी जैसे … Read more

हिंदी | पंकज चतुर्वेदी

हिंदी | पंकज चतुर्वेदी

हिंदी | पंकज चतुर्वेदी डिप्टी साहब आए सबकी हाज़िरी की जाँच की केवल रजनीकांत नहीं थे कोई बता सकता है – क्यों नहीं आए रजनीकांत ? रजनी के जिगरी दोस्त हैं भूरा – रजिस्टर के मुताबिक़ अनंतराम – वही बता सकते हैं, साहब ! भूरा कुछ सहमते-से बोले : रजनीकांत दिक़ हैं डिप्टी साहब ने कहा : क्या कहते हो ? साहब, … Read more

सरकारी हिंदी | पंकज चतुर्वेदी

सरकारी हिंदी | पंकज चतुर्वेदी

सरकारी हिंदी | पंकज चतुर्वेदी डिल्लू बापू पंडित थे बिना वैसी पढ़ाई के जीवन में एक ही श्लोक उन्होंने जाना वह भी आधा उसका भी वे अशुद्ध उच्चारण करते थे यानी ‘त्वमेव माता चपिता त्वमेव त्वमेव बंधुश चसखा त्वमेव’ इसके बाद वे कहते कि आगे तो आप जानते ही हैं गोया जो सब जानते हों उसे जानने और जनाने में कौन-सी अक़्लमंदी है ? … Read more

संध्या | पंकज चतुर्वेदी

संध्या | पंकज चतुर्वेदी

संध्या | पंकज चतुर्वेदी जीवन के बयालीसवें वसंत में निराला को लगा – अकेलापन है घेर रही है संध्या बयालीसवें जन्मदिन पर पूछा एक स्त्री से कैसा लगता है महाकवि की बात क्या सही है ? कहा उसने बढ़ी है निस्संगता और जैसे साँझ ही क्या रात्रि-वेला चल रही है बीच के इस फ़ासिले में और चाहे कुछ हुआ है कम हुई है रोशनी शाम का वह … Read more

शमीम | पंकज चतुर्वेदी

शमीम | पंकज चतुर्वेदी

शमीम | पंकज चतुर्वेदी जाड़े की सर्द रात समय तीन-साढ़े तीन बजे रेलवे स्टेशन पर घर जाने के लिए मुझे ऑटो की तलाश आख़िर जितने पैसे मैं दे सकता था उनमें मुझे मिला ऑटो-ड्राइवर एक लड़का उम्र सत्रह-अठारह साल मैंने कहा : मस्जिद के नीचे जो पान की दुकान है ज़रा वहाँ से होते हुए चलना रास्ते में उसने पूछा : क्या आप मुसलमान हैं … Read more

वह इतना निजी | पंकज चतुर्वेदी

वह इतना निजी | पंकज चतुर्वेदी

वह इतना निजी | पंकज चतुर्वेदी ऑपरेशन के बाद डॉक्टर कहते हैं : ऑपरेशन की जगह पर दर्द बिलकुल न होता हो तो वह किसी ख़तरनाक बीमारी का लक्षण है वह कैंसर भी हो सकता है दर्द है इस समाज को बहुत है पर उस दुख के कारणों पर कोई रैडिकल बहस नहीं है न उसके पीछे छिपी ताक़तों को पहचानने और उनका प्रतिकार करने जितनी युयुत्सा है सिर्फ़ फ़ौरी … Read more

वृक्षारोपण | पंकज चतुर्वेदी

वृक्षारोपण | पंकज चतुर्वेदी

वृक्षारोपण | पंकज चतुर्वेदी प्रबोध जी अध्यापक हैं ज़िला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान में एक दिन सरकारी निर्देशों के मुताबिक़ वहाँ वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन हुआ मुख्य अतिथि बनाए गए संयुक्त शिक्षा निदेशक यानी जे.डी. साहब प्रबोध जी को संचालन सौंपा गया प्राचार्या ने स्वागत-भाषण में जे.डी. साहब के लिए वही कहा जो कबीर ने प्रभु की महिमा में कहा था : ”सात समुंद की … Read more

लगता है कि जैसे | पंकज चतुर्वेदी

लगता है कि जैसे | पंकज चतुर्वेदी

लगता है कि जैसे | पंकज चतुर्वेदी एक मीठे स्वीकार से अनुप्राणित उस मिलने के बाद यह छूँछा बिछोह यह सूनी-सूनी-सी निष्फल होती-सी लगती असंगत-सी बेचैनी अनधिकृत-सी प्रतीक्षा लगता है कि जैसे मैं तुम्हारे घर आया हूँ और तुम दरवाज़ों को खुला छोड़कर न जाने कहाँ चली गई हो

राष्ट्रपति जी ! | पंकज चतुर्वेदी

राष्ट्रपति जी ! | पंकज चतुर्वेदी

राष्ट्रपति जी ! | पंकज चतुर्वेदी राष्ट्रपति जी ! | पंकज चतुर्वेदी एक कपड़ों के चुनाव में आपकी असमर्थता से ज़ाहिर है आप कितने मसरूफ़ रहे पढ़ाई में आपके बढ़े हुए बेतरतीब बालों की अपनी ही तरतीब है और आपका अविवाहित रहना – प्रधानमंत्री जी के ब्रह्मचर्य से अलग है उसका मिज़ाज दो यों तो और भी हुए हैं चिंतक वैज्ञानिक पर किसी … Read more

रक्तचाप | पंकज चतुर्वेदी

रक्तचाप | पंकज चतुर्वेदी

रक्तचाप | पंकज चतुर्वेदी रक्तचाप | पंकज चतुर्वेदी रक्तचाप जीवित रहने का दबाव है या जीवन के विशृंखलित होने का ? वह ख़ून जो बहता है दिमाग़ की नसों में एक प्रगाढ़ द्रव की तरह किसी मुश्किल घड़ी में उतरता है सीने और बाँहों को भारी करता हुआ यह एक अदृश्य हमला है तुम्हारे स्नायु-तंत्र पर जैसे कोई दिल को भींचता है और … Read more