मैंने जब
पहली बार तुम्हें देखा
समूची मुस्कुराती हुई तुम
मेरे भीतर मिसरी के ढेले सा घुल गई
मैं उसे रोक नहीं सकता था
अब मेरे भीतर
बसंत की लय पर
हर वक्त
एक गीत बजता रहता है –
प्रेम मानव संबंधों की मनोहर चित्रशाला है

See also  आगे चले चलो

Leave a comment

Leave a Reply