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लिख सको तो

सम्मेलन, महोत्सव, टीवी, अखबारसाहित्यिक मनोविलास की बातें‘कलमखोरों’ को लिखने दोअगर लिख सको तो…उन लंबी कतार में लगे लोगों की बातें लिखोजिनकी आवाज कोई नहीं सुन रहा सत्य के चेहरे पर कालिख पोत करझूठ की पूजा करतेउन लोगों के बारे में लिखोजो हर आदेश पर फौरनसिर झुका लेते हैं‘देशप्रेम’ को प्रायोजित करने वालों का चेहरा बेनकाब […]