आँचल का अहसास | ओम प्रकाश नौटियाल
आँचल का अहसास | ओम प्रकाश नौटियाल
मरु सम जीवन शुष्क रहा
माँ बिन फिरूँ हताश
स्मृति पट पर अब चिन्हित जो
श्वास श्वास में वास
नहीं सुनाई देते अब
मीठे लोरी गीत
जो भी मिलते अपने बन
मतलब के सब मीत
ममता लुप्त हुई, रहा न
आँचल का अहसास
चीर सके तिमिर घृणा का
दीप्त हो ज्योत प्रखर
प्रेम उद्यान पुष्पित हो
अंतस जाए निखर
माँ सी स्नेह सुरक्षा सा
पल्लू रहा तलाश
अति पावन प्रभुमूरत सी
माँ दी, किया कृतार्थ
ममता की पर्याय बनी
प्रेम न जाना स्वार्थ
पल्लवित हो भाव, बने न
प्रेम कभी इतिहास