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हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय

हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय स्टेशन की किच-किचऔर हाय-हाय हुएहम मुगलसराय हुए बहुत बड़े जंक्शन कीअपनी तकलीफें हैंगाड़ी का शोर औरसपनों की चीखें हैंसुबह की बनी रखीदुपहर की चाय हुएहम मुगलसराय हुए ताले-जंजीरें हैंनजरें शमशीरें हैंशयनयान में जागींउचटी तकदीरें हैंधुंध-धुआँ कुहरे सेधूप के बजाय हुएहम मुगलसराय हुए साँस-साँस […]