हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय

हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय

हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय हम मुगलसराय हुए | यश मालवीय स्टेशन की किच-किचऔर हाय-हाय हुएहम मुगलसराय हुए बहुत बड़े जंक्शन कीअपनी तकलीफें हैंगाड़ी का शोर औरसपनों की चीखें हैंसुबह की बनी रखीदुपहर की चाय हुएहम मुगलसराय हुए ताले-जंजीरें हैंनजरें शमशीरें हैंशयनयान में जागींउचटी तकदीरें हैंधुंध-धुआँ कुहरे सेधूप के बजाय हुएहम मुगलसराय हुए साँस-साँस … Read more

हम तो सिर्फ नमस्ते हैं | यश मालवीय

हम तो सिर्फ नमस्ते हैं | यश मालवीय

हम तो सिर्फ नमस्ते हैं | यश मालवीय हम तो सिर्फ नमस्ते हैं | यश मालवीय हम भी कितने सस्ते हैंजब देखो तब हँसते हैं बात बात पर जी हाँ जीउल्टा पढ़ें पहाड़ा भीपूँछ ध्वजा सी फहरानाबस विनती विनती विनतीसधा सधाया अभिनय हैरटे रटाये रस्ते हैं हम तो इमला लिखते हैंजैसा चाहो दिखते हैंरोज खरीदे … Read more

शब्द का सच | यश मालवीय

शब्द का सच | यश मालवीय

शब्द का सच | यश मालवीय शब्द का सच | यश मालवीय गीत को स्वेटर सरीखाबुन रहा हूँसमय की पदचापजैसे सुन रहा हूँ साँस में संवेदना केस्वर सजे हैंरात गहरी हैन जाने क्या बजे हैंअक्षरों के फूलक्रमशः चुन रहा हूँ पंक्तियों में ज्योंपिरोई है प्रतीक्षाआँच मन कीदे रही है अग्नि-दीक्षापर्व का एकांतपल-पल गुन रहा हूँ … Read more

विष बुझी हवाएँ | यश मालवीय

विष बुझी हवाएँ | यश मालवीय

विष बुझी हवाएँ | यश मालवीय विष बुझी हवाएँ | यश मालवीय नीम अँधेराकड़वी चुप्पीऔ’ विष बुझी हवाएँहुई कसैलीसद्भावों कीवह अनमोल कथाएँ बचे बाढ़ से पिछली बरखासूखे में ही डूबेकोमा में आए सपनों केधरे रहे मंसूबेफिसलन वालीकीचड़-काईठगी ठगी सुविधाएँमन की उथलीछिछली नदियाकी अपनी सीमाएँ यह आदिम आतंक डंक साघायल हुए परस्परअलग अलग कमरों में पूजेअपने-अपने … Read more

यात्राएँ समय की

यात्राएँ समय की

एक झरनाथा कि फिर संतूर का स्वरमौन की घाटी उतरता है टूटता शीशासघन सी चुप्पियों काधूप में चमकेहरापन पत्तियों काफूल कोईपंखुरी के श्वेत अक्षरहोंठ पर चुपचाप धरता है शब्द केनिःशब्द होने की कथा साउगे सूरजपर्व की प्रेरक प्रथा सायाद का क्षणगंध के कपड़े पहनकरखुली अँजुरी से बिखरता है। बर्फ पर पदचिह्नयात्राएँ समय कीमिली पगडंडीकिसी भूले … Read more

माँ का अप्रासंगिक होना

माँ का अप्रासंगिक होना

जाती हुई धूप संध्या कीसेंक रही है माँअपना अप्रासंगिक होनादेख रही है माँ भरा हुआ घर हैनाती पोतों से, बच्चों सेअनबोला बहुओं के बोलेबंद खिड़कियों सेदिन भर पकी उम्र के घुटनेटेक रही है माँ फूली सरसों नहीं रहीअब खेतों में मन केपिता नहीं हैं अब नस नसक्या कंगन सी खनकेरस्ता थकी हुई यादों काछेंक रही … Read more

मुंबई | यश मालवीय

मुंबई | यश मालवीय

मुंबई | यश मालवीय मुंबई | यश मालवीय साँस साँसबस अपने लिए तरसना होता हैसुबह हुईजूते के फीते कसना होता है लेनी पड़ती होड़ बसों सेलोकल ट्रेनों सेफूल फूल सपनों की लाशेंन उठती क्रेनों सेगर्दन तक गहरे दलदल मेंधँसना होता है सिर ही सिर सीढ़ी पर उगतेभीड़ समंदर होतीबोरीवली बांद्रा वीटीबोरीबंदर होतीपहिया लेकर चक्रव्यूह मेंफँसना … Read more

भीड़ से भागे हुओं ने | यश मालवीय

भीड़ से भागे हुओं ने | यश मालवीय

भीड़ से भागे हुओं ने | यश मालवीय भीड़ से भागे हुओं ने | यश मालवीय भीड़ से भागे हुओं ने भीड़ कर दीएक दुनिया कई हिस्सों मेंकुतर ली सिर्फ ऐसी औरतैसी में रहेरहे होकरजिंदगी भर असलहेजब हुई जरूरतआँख भर ली रोशनी की आँख मेंभरकर अँधेराआइनों में स्वयं कोघूरा तरेरावक्त ने हर होंठ परआलपिन धर … Read more

बोलकर तुमसे | यश मालवीय

बोलकर तुमसे | यश मालवीय

बोलकर तुमसे | यश मालवीय बोलकर तुमसे | यश मालवीय फूल सा हल्का हुआ मनबोलकर तुमसेआँख भर बरसा घिरा घनबोलकर तुमसे स्वप्न पीले पड़ गए थेतुम गए जब सेबहुत आजिज आ गए थेरोज के ढब सेमौन फिर बुनता हरापन बोलकर तुमसे तुम नहीं थे, खुशी थीजैसे कहीं खोईतुम मिले तो ज्यों मिलाखोया सिरा कोईपा गए … Read more

फोन पर आवाज सुनकर | यश मालवीय

फोन पर आवाज सुनकर | यश मालवीय

फोन पर आवाज सुनकर | यश मालवीय फोन पर आवाज सुनकर | यश मालवीय फोन पर आवाज सुनकरतुम्हें थोड़ी देर गुनकरजिंदगी से भेंट जैसे हो गईडायरी में खिल उठे पन्ने कईसमय अक्टूबर हुआ भूला मई। गीत वो दालान वालेधान वाले पान वालेदिए रखने लगे मन मेंनयन वो वरदान वाले शब्द वाले फूल चुनकररोशनी की रुई … Read more