हिमालय की सुनामी
उस पुराने कंबल में खुले छेदबोलते थे भाषा गहरी आहों कीभूख और अभाव की जबकि कंबल के एक छोर सेबाहर झाँकताछोटा सा सिर –खुद सुकरात का हैसवाल उठाता है जोविकास के मानदंडों परतारकोल की चिपचिपी सड़क के पार लेटे हुएगूँजती हुई मनहूस सुरंगों के अंदर सेपहाड़ों पर टेढ़े-मेढ़े दौड़ते हुए केदारनाथ नामक शहर की ओरजहाँ … Read more