(माँ के लिए)

पुराना पैन स्टैंड सलामत है
दशकों से सीधा रखा है इसने
लेखक का तैयार और सावधान पैन
उसके द्वारा उठाए जाने की प्रतीक्षा में है
जिसका जीवन-रक्त इसकी स्याही था
उसके आँसू इसका प्रवाह
और हर्ष इसकी ऊर्जा था

अपनी लंबी और पतली रीढ़ में
उसके जुनून, दर्द और पीड़ा को मथते हुए
धीरे-धीरे कागज पर उभरे थे जो
दाएँ से बाएँ छटपटाते हुए
पात्र, विचार, भावनाएँ और सब कुछ
अपने बारे में बताते हुए
मानो भगवान के ही हाथ में हों
जन्मते और मरते हुए
एक समानांतर दुनिया में
प्रवाही अर्ध चंद्रमाओं में
और दूधिया मार्गों में सृजित

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आज, अपनी दरारों से
पीली धूल उगलते हुए पुरानी मेज
अब भी कमरे में आसीन है
पैन स्टैंड में पैन के साथ
उदासीन, इसकी स्याही सूखती और जमती हुई
उम्र बढ़ने के साथ काँपता हुआ उसका मालिक
उसका जीवन-रक्त समवेदना में
अपनी बुद्धिमानी खोता हुआ।