संजना तिवारी | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता
संजना तिवारी | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता

आप निश्चित ही जानते होंगे
ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ़|
एंजलीना जोली, सुष्मिता सेन सहित कई दूसरों को भी
और यकीन जानिए मुझे रत्ती भर भी ऐतराज नहीं
कि आप जानते हैं
जमाने की कई मशहूर हस्तियों को

लेकिन क्या आप जानते हैं संजना तिवारी को भी ?

संजना तिवारी ने अभिनय नहीं किया
एकता कपूर के किसी धारावाहिक में
वे किसी न्यूज चैनल की एंकर भी नहीं हैं

मेरी अधिकतम जानकारी में उन्होंने
कोई जुलूस नहीं निकाला कभी

चमक-दमक
लाभ-हानि
प्रेम और घृणा के गणित में पड़े संसार को
ठेंगा दिखाती हुई
वे फुटपाथ पर बेचती हैं दुनिया का महान साहित्य
और उन पत्रिकाओं को जिनमें
शृंगार, जिम और ‘मुनाफे’ पर कोई लेख नहीं होता

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वैसे वे चाहतीं तो खोल सकती थीं
प्रसाधन का कोई छोटा-सा स्टोर
या ढूँढ़ सकती थीं अपने लिए कोई नौकरी
न सही किसी मल्टीनेशनल कंपनी में
किसी प्रकाशन संस्था में टाइपिस्ट की ही सही

ऐसा तो हो नहीं सकता
कि कोई घर न हो उनका
और यह कैसे हो
कि घर हो और उम्मीद न हो

यह कहने-सुनने में चाहे जितना अटपटा लगे
पर सच यही है
घर और उम्मीद में वही रिश्ता है
जो साँसों और जीवन में होता है
खैर, छोड़िए इन बातों को
और थोड़ी देर के लिए
दुनिया को देखिए संजना तिवारी की निगाह से
जो इस बेहद बिकाऊ समय में
अब कम-कम बिकने वाली
सपनों से भरी उन इबारतों को बेचती हैं
जो फर्क करना सिखाती हैं
सपनों के सौदागरों और सर्जकों के बीच

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संजना तिवारी महज एक स्त्री का नाम नहीं है

किताबें बेचना उनका खानदानी व्यवसाय नहीं है
वे किसी भी ‘साहित्यिक’ से अधिक जानती हैं
साहित्यिक पत्रिकाओं के बारे में

वे सुझाव भी देती हैं नए पाठकों को
कि उन्हें क्या जरूरी पढ़ना चाहिए

संजना तिवारी महज एक नाम नहीं
तेजी से लुप्त हो रही एक प्रवृत्ति हैं
जिसका बचना बहुत जरूरी है

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और जाने क्यों मुझे
कुछ-कुछ यकीन है आप सब पर
जो अब भी पढ़ते-सुनते हैं कविता
जिनकी दिलचस्पी बची हुई नाटकों मे
जिनके सपनों का रंग अभी नहीं हुआ है धूसर

इसलिए अगली बार जब भी जाइएगा मंडी हाऊस
श्रीराम सेंटर के सामने
पेड़ के नीचे दरी पर रखी सैकड़ों किताबों-पत्रिकाओं में से
कम से कम एक जरूर ले आइएगा अपने साथ

और यकीन रखिए आपका यह उपहार
किसी और पर फर्क डाले न डाले
दाल में नमक जितना ही सही
जरूर डालेगा अगली पीढ़ी पर।

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