कौन थे वे लोग जो
इन पत्थरों को
दे गए हैं
जिंदगी के छंद।
आसमानों से
बहुत ऊँचे
बहुत ऊँचे
कि जिनके हौसले थे
इरादों की
छेनियों से
हथौड़ों से जो
क्षितिज गढ़ने चले थे
कौन थे जो
हमारी संवेदना का
कर गए
चट्टान से अनुबंध।
सख्त, काले खुरदुरे ये
पास आओ
छूओ इनको
फूल से भी नर्म हैं ये
बस,
जरा-सा झुको इन पर
होंठ से अपने लगा लो
साँस से भी गर्म हैं ये
कौन थे जो
आज के पत्थर-समय में
जी गए
इतना तरल संबंध।