कइसन-कइसन फूल लोढ़ाइल, राजा जी के बाग में
काँट-कूस-माहुर अगराइल, राजा जी के बाग में
चिरईं चुरुगन से मत पूछीं, जान पड़ल बा साँसत में
खोंता-खोंता साँप समाइल, राजा जी के बाग में
कली-कली से के बतियाई, डाढ़-पात से खेली के
फुलसुंघी के पाँख नोचाइल, राजा जी के बाग में
ऊहे ढोलक-झाल-मँजीरा अउर जुटान पँवरियन के
ऊहे झूमर रोज पराइल, राजा जी के बाग में
मछरिन के मन ढेर बढ़ल बा, कहलन जब पटवारी जी
ताल तलइया जाल नथाइल, राजा जी के बाग में
गजबे मती मराइल इहँवा, अजबे उल्टा हवा चलल
चुसनी धइले लोग धधाइल, राजा के बाग में
सुनऽ संघतिया, काल्ह जरूरे आल्हा के ऊ तान उठी
केहू त होखी अगियाइल, राजा जी के बाग में