निरंतर बज रहा हूँ
निरंतर बज रहा हूँ

मेरी कमजोर छाती पर 
तुमने खिला दिए हैं 
चुंबनों के असंख्य रंग-बिरंगे फूल!

तुम्हारे थरथराते होठों की 
ऊष्मा 
मेरी कोशिकाओं में 
मार रही हैं ठाठें 
गर्म खून बनकर

मेरी साँसों में 
घुली हुई हैं तुम्हारी साँसें 
मेरे संपूर्ण शरीर में 
रक्त के साथ 
एक स्वर्गिक आवेग से 
नाच रही हो तुम 
बनकर संगीत

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इसी संगीत ने 
मुझमें भर दिया है नया जीवन 
जीने की अदम्य अभिलाषा 
संगीत का साज बनकर 
निरंतर बज रहा हूँ मैं।

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