कतार से कटा घर | अनिल प्रभा कुमार
कतार से कटा घर | अनिल प्रभा कुमार

कतार से कटा घर | अनिल प्रभा कुमार – Katar Se Kata Ghar

कतार से कटा घर | अनिल प्रभा कुमार

स्कूल की बस सड़क के किनारे रुकी तो हम तीनो बस्ते सँभाल कर खड़े हो गए। बस ड्राइवर ने बटन दबाया और एक तीन फुट की लंबी-सी लाल पट्टी खिच कर बाहर निकल आई जैसे किसी ट्रैफिक-पुलिस वाले की बाँह हो। उसके सिरे पर लाल अष्टकोण सा हाथ, जिस पर सफेद अक्षरों से लिखा था – स्टॉप। दोनों तरफ की कारें जहाँ की तहाँ रुक गईं – बच्चे उतर रहे हैं। रुकना कानून है। ड्राइवर ने बस का दरवाजा खोल दिया। स्कॉट और अनीश मुझसे पहले उतरकर, पीठ पर बस्ता झुलाते, गप्पें मारते जा रहे थे और मैं उनके पीछे चुपचाप चलता गया। वह ऐसे चलते हैं जैसे मैं हूँ ही नहीं।

“होम-वर्क करने के बाद मेरे घर आ जाना, बेसबॉल खेलेंगे।” स्कॉट ने बाई ओर अपने घर की ओर मुड़ते हुए जोर से कहा।

“हाँ, आ जाऊँगा। तेरे डैडी तो बॉल फेंक कर प्रैक्टिस करवा ही देंगे। कुछ बेचारों के घर में तो कोई मर्द ही नहीं होता। बेचारे! च्च च्च।” कहकर अनीश मेरी ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा।

जी में आया कि एक जोर का घूँसा मारकर इसके सारे दाँत तोड़ दूँ। वह ऐसे घटिया तानों के बँटे मेरी ओर अक्सर फेंकता रहता है। एक ही पड़ोस में रहते हैं हम सभी पर मुझे कभी खेलने के लिए नहीं बुलाते और न ही कभी मेरे घर आते हैं। हालाँकि यह एक बड़ा निजी सा पड़ोस है, शहर के सबसे अमीर इलाके में। पाँच घर दाएँ और पाँच घर बाएँ और दोनों कतारों के बीच में ग्यारहवाँ घर हमारा जहाँ आकर सड़क रुक जाती है। मेरा घर न दाई कतार में आता है और न बाई कतार में। बस कतारों से कटा हुआ है।

अनीश का घर दाई कतार में है। मुड़ने से पहले उसका हाथ मुझे बॉय करने के लिए उठा पर सामने गेट पर उसकी मम्मी खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। अनीश ने अपना हाथ नीचे गिरा लिया और जल्दी से अंदर भाग गया।

मैं भी उन को अनदेखा कर अपने घर चला गया। शर्ली मम्मी हमेशा मेरे आने के लिए दरवाजा खुला छोड़ देती हैं पर उनके कान दरवाजे की ओर ही होते हैं ताकि मेरे आने की आहट सुन सकें। मुझे बहुत अच्छा लगता है यह।

मम्मी ने पास आकर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा, “कैसा रहा मेरे बेटे का दिन?”

“ठीक था।” कहकर मैं ऊपर अपने कमरे की ओर भाग गया। जमीन पर बस्ता फेंककर खुद को भी पलंग पर फेंक दिया। रुलाई छूट रही थी। मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी को क्या पता कि उनकी वजह से मेरे साथी मुझ पर कैसी तानाकशी करते हैं। आज मुझे अपनी दोनों मम्मियों पर बहुत गुस्सा आ रहा है। वे तो बहुत बहादुर हैं। कहती हैं हम अपनी शर्त्तों पर जी रही हैं पर मेरे बारे में कुछ नहीं सोचती कि लड़के मुझे कितना छेड़ते हैं। आज प्ले-ग्राउंड में डेविड और अनीश ने मुझे जान-बूझकर धक्का मार दिया। मेरी कोहनी छिल गई और आँखों में आँसू आ गए तो वे लोग मुझे चिढ़ाते हुए, मुँह फाड़कर, हँसने लगे – “औरतों के साथ रहेगा तो रोएगा ही न?”

मैं चुपचाप उठकर चलने लगा तो पीछे से जेरेमी ने भी चलते हुए मुझे अड़ंगी मार दी। मैं गुस्से से पलटा तो वह भी ऐसे ही हँसने लगा था। “अरे! तुझे सेव करना कौन सी मम्मी सिखाएगी? बोल… बोल ना”

“मेरे डैड सिखा देंगे, इसमें कौन सी बड़ी बात है।” मैक्स ने बड़ी लापरवाही से कहा और मुझे खींचकर दूर ले गया।

मैं तो चुप रहता हूँ। शर्ली मम्मी कहती हैं, “ध्यान ही मत दो। एक कान से सुनो और दूसरे से निकाल दो। इतना आसान होता है क्या? मिशेल मॉम तो नर्सरी राइम ही गुनगुनाना शुरू कर देती हैं।

मैं भी तो मन ही मन यही कहता रहता हूँ – ‘स्टिक एंड स्टोंस, मे ब्रेक माइ बोंस, बट वर्डस विल नैवर हर्ट मी।’ तभी तो ढीठ बना मुस्कराता रहता हूँ। पर बातें ही तो सबसे ज्यादा तकलीफ देती हैं। कोई ऐसा दोस्त भी तो नहीं है मेरा जिससे मैं अपने दिल की बात करूँ। मैक्स मेरा दोस्त है। वह अच्छा भी है पर उससे भी यह खास बात कहते डरता हूँ कि कहीं वह दोस्ती ही न तोड़ दे।

मैं अनमना सा अपनी किताबें और कॉमिक बुक्स पलटने लगा। मेरे हाथ में अपनी बनाई हुई तस्वीर आ गई “मेरा परिवार”। किंडरगार्डन में था, तब की। इसकी वजह से ही क्लास में मेरा मजाक बना था। टीचर ने कहा था सभी बच्चे अपने परिवार की तस्वीर बनाओ। तभी मैंने अपने परिवार की यह पेंटिग बनाई थी। जिसमें दोनों मम्मियाँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मैं बेसबॉल हैट पहन कर बीच में मुस्करा रहा हूँ। जैरा पास ही घास पर लेटी है।

टोनी ने दीवार पर लगाने के लिए सब की तस्वीरें इकट्ठी कीं। अनीश मेरी पेंटिग देख कर जोर-जोर से हँसने लगा। मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया।

“परिवार में दो मम्मियाँ थोड़े-ही होती हैं, बुद्धू!”

“पर मेरी तो दो मम्मियाँ ही हैं।” मैं परेशान सा हो गया।

अनीश ने टोनी से चित्र खींच कर मेरे आगे फेंक दिया।

“नहीं, बिल्कुल नहीं होतीं!” टोनी ने भी अनीश का साथ दिया।

मैंने अपनी पेंटिंग वापिस बस्ते में रख ली।

तब तक छुट्टी की घंटी बज चुकी थी।

उस दिन मैं बहुत चुप था। सोच रहा था कि किससे बात करूँ? वैसे तो मेरी दोनों ही मम्मियाँ मुझे बहुत प्यार करती हैं। कभी-कभी सोचता हूँ कि मैं कितना किस्मत वाला हूँ कि मुझे दो-दो माँओं का प्यार मिलता है। स्कॉट के मम्मी-डैडी तो हर वक्त लड़ते ही रहते हैं। कभी-कभी तो हमारे घर तक भी आवाज आ जाती है। एक बार सबके सामने ही उन्होंने स्कॉट को तमाचा जड़ दिया था। मैक्स ने बताया कि वह तो स्कॉट की मम्मी की भी पिटाई कर देते हैं। हमारे घर में तो कोई ऊँची आवाज में बात तक नहीं करता। दोनों ही मॉम मेरे होमवर्क में मदद करती हैं और जब वक्त मिले तो खेलती हैं, बातें करती हैं।

मिशेल मॉम ने ही मुझे बताया था कि “गे” का मतलब क्या होता है? जब एक ही लिंग के दो लोग आपस में प्रेम करते हैं और अपना जीवन साथ बिताना चाहते हैं तो वे लोग “गे” कहलाते हैं। वे दो मॉम भी हो सकती हैं और दो डैड भी।

बस, इतनी सी बात! इसके बाद मुझे कुछ और जानने में दिलचस्पी ही नहीं हुई। मुझे क्या फर्क पड़ता है, जब तक हमारे परिवार में सब प्यार से रहते हैं। स्कॉट के मम्मी-डैडी की तरह हर वक्त लड़ते-झींकते तो नहीं रहते!

अगले दिन टीचर ने जब मेरी पेंटिंग के बारे में पूछा तो मैंने धीरे से पास जाकर बता दिया कि अनीश और टोनी कहते हैं कि दो मम्मियाँ नहीं हो सकती पर मेरी तो दो मम्मियाँ हैं। इसलिए मैं अपनी पेंटिंग नहीं दे सकता!

टीचर चुप हो गई! उसने सबकी तस्वीरें हाथ में पकड़ लीं और हम सबको अपने पास आने को कहा। एक-एक करके वह सब तस्वीरें दिखाने लगी। सब तस्वीरें एक दूसरे से अलग थीं। किसी में एक माँ और दो बच्चे! किसी में एक बच्चा और दो मम्मी-डैडी! किसी मे सिर्फ डैडी और दो बच्चे। ऐसे ही टीचर सब की तस्वीरें दिखाती गई।

“देखा तुमने। हर परिवार अपने आप में खास होता है। परिवार प्यार से बनता है इसलिए दो मम्मियों वाला परिवार भी हो सकता है और दो डैडियों वाला भी।”

मैंने अपनी पेंटिंग टीचर को दे दी। उसके बाद से उस स्कूल में मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा।

पर आज स्कूल वाली घटना से मुझे लगा कि हमारे घर में शायद कुछ अटपटा है। शाम को जब मैं मॉम और मम्मी के बीच बैठकर टेलीविजन देख रहा था – कोई फैमिली प्रोग्राम, तो वही एक बात मुझे तंग किए जा रही थी कि मेरी फैमिली कुछ अलग है।

“मॉम, क्या हम लोग अजीब हैं? औरों जैसे नहीं हैं?”

दोनों मम्मियाँ चुप हो गईं। एक-दूसरे को देखने लगीं। मुझे लगता है कि दोनों मम्मियों के बीच कुछ है, कोई जादू जैसा। वह बस एक-दूसरे की ओर देखती हैं और आपस की बात समझ जाती हैं। कुछ है उन दोनों के रिश्ते के बीच कि उसका गुनगुनापन मुझे और ज़ैरा को भी छूता रहता है।

शर्ली मम्मी ने खींच कर मुझे अपने पास बिठा लिया। मेरे बाल सहलाने लगी।

“नहीं रॉबी, हम लोग बिल्कुल अजीब नहीं। जब से दुनिया बनी है, हर समय, हर समाज और हर धर्म में इस तरह के लोग होते हैं जिनकी पसंद अलग-अलग होती है। वह जान-बूझ कर ऐसा नहीं करते। वह होते ही ऐसे हैं। बस, ज्यादातर लोग इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि कोई उनसे अलग तरह की सोच या पसंद वाला इनसान भी हो सकता है। इसलिए कई देशों में उन्हें जेल में डाल देते हैं, यातनाएँ देते हैं।”

“रेत में सिर छुपा लेने से तो तूफान को नहीं नकारा जा सकता। लोग इस बात को मानना ही नहीं चाहते इसीलिए ज्यादातर लोग अपने संबंधों को छिपाकर रखते हैं। हम क्योंकि खुले समाज में रहते हैं तो कोशिश कर रहे हैं कि जो हम हैं, उसी तरह से रहें! हम अलग हैं पर गलत नहीं!”

दोनों मम्मियों ने मुझे इतना लंबा भाषण दे दिया। मैं तो कुछ और ही पूछना चाहता था।

“मॉम, क्या सचमुच मेरा कोई डैडी नहीं है?” जो मैं पूछना चाहता था, वह वैसे का वैसे ही मेरे मुँह से निकल गया।

थोड़ी देर के लिए चुप्पी छा गई। मिशेल मॉम गंभीर होकर कुछ सोचने लगी। मैं जवाब के इंतजार में मॉम के मुँह की ओर देख रहा था। मॉम मुझसे कभी झूठ नहीं बोलतीं, मुझे मालूम है।

मिशेल मॉम धीरे से अपना हाथ मेरी पीठ पर रखकर मुझे देखती रहीं फिर धीरे-धीरे बोलीं जैसे मैं उनके जितना ही बड़ा होऊँ!

“देख रॉबी, मुझे शुरु से ही अपने बारे में मालूम था कि मैं कैसी हूँ। हम जैसे होते हैं न, वैसे ही होते हैं। इसके अलावा कुछ और हो ही नहीं सकते। मुझे पुरुषों ने कभी आकर्षित किया ही नहीं।”

मैंने सोचा यह तो बड़ी आसान सी बात है।

“मैं और शर्ली आपस में ऐसे ही प्रेम करती हैं जैसे बाकी जोड़े करते हैं। हमें एक-दूसरे का बहुत सहारा है। हमने बाकी की जिंदगी एक साथ बिताने का वादा किया है।

“हुँह”। यह भी मेरी बात का जवाब नहीं हुआ।

शर्ली मम्मी ने शायद मेरे चेहरे पर की उलझन समझ ली। मेरी ठुड्डी हाथ में लेकर बड़े प्यार से बोली, “हमें लगा कि हमें एक प्यारा सा बच्चा चाहिए जिस पर हम अपना सारा प्यार उड़ेल सकें।”

तो वह प्यारा सा बच्चा मैं हूँ, जिस पर यह दोनों मम्मियाँ प्यार उड़ेलना चाहती थीं। मुझे अपने होने पर गर्व हुआ और मैं मुस्कुरा उठा।

“मिशेल तुम्हें जन्म देगी। हमने काफी सोच-विचार के बाद निश्चय किया। फिर वह एक खास डॉक्टर के पास गई जो बिना किसी आदमी के संपर्क में आए बच्चे पैदा करने में मदद करता था।” शर्ली मम्मी बता रही थीं।

“वह कहने लगा कि वह सिर्फ स्त्री-पुरुष के उन जोड़ों की ही मदद करता है जिन्हें बच्चे पैदा करने में मुश्किल होती है। फिर वह डॉक्टर अपने हिसाब से मुझे बताने लगा कि सही क्या है और गलत क्या है। उसने साफ कह दिया कि मैं ऐसा नाजायज बच्चा पैदा करने में तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।” वह घटना याद करके मिशेल मॉम का मुँह उस वक्त भी तमतमा उठा था।

“फिर?” मुझे कहानी दिलचस्प लग रही थी।

“फिर मेरी एक सीनियर डॉक्टर ने मेरी मदद की। उसने मुझे एक चार्ट दिखाया जिसमें नामों की जगह सिर्फ नंबर लिखे थे, फोटो भी नहीं!” मॉम हँस पड़ी।

“उन्हीं में से मैंने एक नंबर तीन सौ बयालीस चुना। जिसका कद छह फुट तीन इंच था। सुडौल शरीर और वह जीवाणुओं पर शोध कर रहा था। बस, इतनी ही सूचना उपलब्ध थी। मेरी उस सीनियर डॉक्टर ने बस उसके डोनेट किए स्‍पर्म (दान किए हुए बीज) को मेरे अंदर डाल दिया और तू मेरी कोख में आ गया।”

मैंने सिर हिला दिया तो मैं मॉम मिशेल की टमी से आया हूँ।

“मैंने तुझे जन्म दिया तो मैं हुई तेरी जन्म माँ और शर्ली ने कानूनन अर्जी दे कर तुझे पालने का अधिकार ले लिया तो वह हुई तेरी सह-माँ।”

“शुक्र है कि हमारे स्‍टेट में यह संभव था।” शर्ली मम्मी ने बात का आखिरी वाक्य कह दिया।

मॉम और मम्मी मुझसे ऐसे ही मिलकर बातें करती हैं तो मैं अपने आप को खास समझने लगता हूँ। मुझे लगता है कि मेरी मम्मियाँ भी खास हैं। पर इस बड़े स्कूल में जब लड़के घुमा-फिरा कर मेरी मम्मियों के बारे में गंदी बातें कहते हैं, मैं सुलग जाता हूँ। तब मुझे दोनों मॉम के ऊपर भी बहुत गुस्सा आता है। उन्हें क्या मालूम कि लोग उनके बारे में कैसी-कैसी बातें करते हैं। अनीश और टोनी तो मेरे मुँह पर ही कह देते हैं कि उनके मम्मी-डैडी ने कहा है कि “सिक” लोगों के घर नहीं जाना!

सिक? मैं खौल जाता हूँ। मेरी मिशेल मॉम, इतनी जानी-मानी डॉक्टर हैं और शर्ली मम्मी के लेख तो बड़ी-बड़ी पत्रिकाओं में छपते हैं। मैं अपनी क्लास में सबसे अच्छे नंबर लाता हूँ और मेरी बेबी सिस्टर ज़ैरा तो दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची है। हम लोग सिक कैसे हुए भला? मम्मियाँ हमें इतना प्यार करती हैं बस हमें और कुछ भी नहीं चाहिए। रोज डिनर के वक्त बैठकर समझाती हैं कि क्या बात गलत होती है और क्या ठीक। मॉम कहती है कि कभी किसी को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए जिससे उसका दिल दुखे। ये लोग तो रोज मेरा दिल दुखाते हैं फिर ये लोग मुझसे अच्छे कैसे हुए? तभी तो मैं अपने घर की बात किसी से करता ही नहीं, मैक्स से भी नहीं!

ज़ैरा शायद आ गई थी। मिशेल मॉम अस्पताल से लौटते वक्त उसे लेकर आई हैं। ज़ैरा हर वक्त हँसती रहती है। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें देखकर मैं भी हँस पड़ता हूँ। जब कोई भी मम्मी उसको स्ट्रॉलर में डालकर घुमाने निकलती हैं तो लोग अजीब सी निगाहों से उसे पलट कर देखते हैं शायद इसलिए कि ज़ैरा काली है और हम तीनों गोरे। मम्मियाँ कहती हैं कि वे दोनों “कलर ब्लाइंड” हैं, उन्हें तो रंग में फर्क नजर ही नहीं आता।

जब से ज़ैरा हमारे घर में आई है, हमें लगता है कि परिवार पूरा हो गया है! ज़ैरा की असली मम्मी तो फ्लोरिडा की जेल में है और उसके डैडी का तो उसकी मम्मी को भी नहीं मालूम। पर अब तो ज़ैरा मेरी बहन है, हमारे परिवार की सदस्य।

मिशेल मॉम कहती हैं, शुक्र है कि हमारे राज्य मे हमे बच्चे गोद लेने का अधिकार है, दूसरे कई राज्यों में तो अभी भी दोनों मम्मियाँ या दोनों डैड बच्चे गोद नहीं ले सकते। अच्छा हुआ, नहीं तो बेचारी ज़ैरा कहाँ रहती? मैं किस के साथ खेलता?

ज़ैरा है तो भोली-भाली सी। एक बार मुझे रात को बहुर डर लगा तो मैं मम्मियों के कमरे में सोने के लिए जा रहा था पर उनका दरवाजा अंदर से बंद था। मॉम ने सिखाया है कि कभी किसी के बैड-रूम में नहीं जाते। अगर दरवाजा खुला भी हो तो भी हमेशा खटखटा कर, पूछकर ही जाना चाहिए। मैंने दरवाजा खटखटाया तो कोई आवाज नहीं आई। मैंने जोर-जोर से दरवाजा पीटना शुरु कर दिया। थोड़ी देर में मॉम की झल्लाहट भरी आवाज आई।

“क्या चाहिए, रॉबी?”

“मेरे कमरे में मॉन्सटर है, मैं वहाँ अकेला नहीं सो सकता।” मैं रो दिया था।

थोड़ी देर बाद मिशेल मॉम ने दरवाजा खोला। उन्होंने हाथ बढ़ा कर मेरे गाल थपथपाएँ। फिर प्यार से पुचकार दिया।

“मेरा रॉबी बेटा तो बड़ा बहादुर है न, एकदम सुपरमैन!”

“हाँ”, मैं फिर से ठुसका था।

मॉम ने हँसकर कहा, “अच्छा जा, ज़ैरा के कमरे में जाकर सो जा।”

मैं खुश हो गया क्योंकि यूँ मम्मियाँ मुझे कभी भी सोई हुई ज़ैरा के कमरे में नहीं जाने देतीं कि वह जाग जाएगी। मैं मुस्कराता हुआ ज़ैरा के कमरे में आ गया। वह भी नींद में मुस्करा रही थी। क्रिब में तो वह लेटी थी और अपने लेटने की कोई जगह मुझे दिखी नहीं। मैंने भी मौके का फायदा उठाकर उसके स्टफड भालू का तकिया बना लिया और वहीं उसके पास कार्पेट पर ही लेट गया।

शर्ली मम्मी कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। शायद उनकी तबियत ज्यादा ही बिगड़ गई। उन्हें तेज बुखार था और कँपकँपी छूट रही थी। उनका जी मतला रहा था और कभी-कभी पेट पकड़ कर वह कराह उठतीं। मिशेल मॉम सारी रात उनके सिरहाने बैठी कभी उनका माथा और कभी हाथ-पाँव सहलाती रहीं। मम्मी निढाल-सी थीं और मॉम परेशान। सुबह मॉम ने अपने अस्पताल फोन किया। “मेरी पार्टनर बहुत बीमार है, मुझे उसका खयाल रखने के लिए कुछ दिन के लिए फैमिली-लीव चाहिए।”

उधर से कुछ जवाब आया और मॉम जोर से चिल्लाई, “क्यों नहीं, बाकी सब को तो मिलती है।”

फिर फोन पर पता नहीं क्या बातें हुईं कि मॉम गुस्से से फोन रखकर सीधे बाथरूम में घुस गईं। बाहर निकलीं तो उनकी आँखें सूजी हुई थीं। बिना किसी की ओर देखे उन्होंने शायद कुछ और फोन किए। इमरजेंसी है, बच्चों को देखने वाला कोई नहीं… जैसे शब्द सुनाई दिए।

See also  नीली गिटार | दीपक शर्मा

मिशेल मॉम को छुट्टी नहीं मिली। उन्हें काम पर जाना ही पड़ा। उस दिन हम एक नई बेबी-सिटर के साथ रहे और शर्ली मम्मी अकेली अपने कमरे में जोर-जोर से कराहती रहीं। मॉम जल्दी काम से लौट आईं। वह कभी इतनी आसानी से परेशान होने वाली नहीं पर आज लगा वह कोई और ही मॉम हैं। अंदर जाकर कभी शर्ली मम्मी को छूतीं, कभी उनके गले लगतीं, कभी आँखें पोंछतीं, मैं बाहर से ही सब देख रहा था और सहमा हुआ था।

मॉम एकदम सीधी होकर बैठ गईं, जैसे कुछ फैसला कर रही हों। फिर उन्होंने बेबी-सिटर को मदद करने को कहा। शर्ली मम्मी को अपनी दाई बाँह से सहारा देकर, लगभग अपने ऊपर लादते हुए कार की पिछली सीट पर डाला और गाड़ी चलाकर अस्पताल ले गईं।

उस सारी रात हम बेबी-सिटर के साथ रहे। मॉम ने उसे ही दो-तीन बार फोन किया। सिटर ने मुझे देखा और कहा, “बुरी खबर। तुम्हारी मम्मी के गॉल ब्‍लैडर में स्‍टोन है। ऑपरेशन की जरूरत है पर मिशेल की इंश्योरेंस उसके अस्पताल का खर्चा देने को नहीं तैयार। मेरे डैडी की इंश्योरेंस ने तो मेरी मम्मी की बीमारी का सारा खर्चा दिया था।” फिर थोड़ा सोचते हुए बोली, शायद ये लोग मैरिड नहीं हैं, इसलिए।”

मॉम का फिर फोन आया था। उन्होंने बताया कि उन्हें शर्ली मम्मी के इलाज के लिए ऑपरेशन की इजाजत देने का अधिकार नहीं है, उनके हस्ताक्षर मान्य नहीं। वह प्रतीक्षा कर रही हैं।

मॉम ने मुझसे भी बात की। “रॉबी घबराना नहीं, ज़ैरा का खयाल रखना। सब ठीक हो जाएगा।’

“तुम कहाँ हो मॉम?” मेरी रुलाई छूट रही थी।

“वेटिंग-रूम में बैठी हूँ। शर्ली के कमरे में जाने की मुझे इजाजत नहीं।”

“क्यों?”

“क्योंकि मैं उसकी फैमिली में नहीं आती।” मुझे लगा मॉम फोन पर शायद सिसकी थी।

दूसरे दिन शाम को दोनों मम्मियाँ लौट आईं। शर्ली मम्मी बहुत कमजोर लग रही थीं और मिशेल मॉम बेहद थकी हुईं। रात को जब मैं गुडनाइट करने उनके कमरे की ओर जा रहा था कि कॉरीडोर में ही रुक गया। मिशेल मॉम के जोर-जोर से बोलने की आवाज आई। वह शायद गुस्से में थीं, नहीं तो वह कभी इतने जोर से बोलती नहीं।

“यह बिल्कुल बे-इनसाफी है। बाकी सब को परिवार का सदस्य बीमार होने पर छुट्टी मिल सकती है तो मुझे क्यों नहीं? हमेशा हमसे क्यों दोयम दर्जे का बर्ताव किया जाता है? एक तो औरत होने के नाते वैसे ही भेद-भाव। ऊपर से जब पता चलता है कि मैं उनके तय किए गए संबंधों के साँचे में फिट नहीं बैठती तो और भी कहर टूटता है। पूरे टैक्स देते हैं हम, पर हमें क्यों वह लाभ नहीं मिलते जो किसी भी आम शादी-शुदा जोड़े को मिलते हैं। मेरी बीमा कंपनी क्यों तुम्हारी बीमारी का खर्चा नहीं दे सकती? आज मुझे कुछ हो जाए तो न तुम्हें मेरी नौकरी की पेंशन मिलेगी और न ही दूसरे हक-फायदे जो कि आम तौर पर दूसरे जोड़ों को मिलते हैं। इस घर से भी निकाल दी जाओगी। वारिस बनकर पता नहीं कौन-कौन आ जाएगा।”

शर्ली मम्मी ने भी शायद जवाब में कुछ कहा।

मुझे उनकी बातें कुछ समझ में नहीं आईं सिवाए इसके कि मॉम परेशान है। मैं घबरा गया और बिना गुडनाइट किए ही चुपचाप आकर अपने बिस्तर पर लेट गया।

मैं मम्मियों को नहीं बताता और ज़ैरा तो अभी है ही छोटी। पर मैं इस बात से बहुत घबराता हूँ कि कोई मेरी मॉम को तंग न करे, कोई उनकी बेइज्जती न करे। कोई ऐसी बात न हो जिससे वह दुखी हों। मुझे मालूम है कि मिशेल मॉम वाले नाना-नानी तो कभी-कभी मिलने आ जाते हैं पर शर्ली मम्मी वाली नानी कभी नहीं आतीं, मम्मी इससे दुखी होती हैं।

मम्मियाँ मुझे संडे स्कूल नहीं भेजतीं जहाँ धर्म की शिक्षा दी जाती है पर मेरे स्कूल के कई बच्चे जाते हैं। मैं और मैक्स लंच टाइम में खाना खा रहे थे तभी जॉन और उसके दोस्त दबंगई के मूड में हमारे पास ही आकर बैठ गए। वे सभी मुझसे दो क्लासें आगे हैं। जॉन हमारी तरफ मुँह करके कहने लगा, – “हमारे चर्च में कहते हैं, जो भी रिश्ता एक आदमी और एक औरत के अलावा होता है, वह पाप होता है। ऐसे लोग नर्क में जाते हैं। वे जलते अलावों पर भूने जाते हैं और गर्म सलाखों से दागे जाते हैं।” फिर वे सभी ठहाके मार-मार कर हँसने लगे।

मुझसे लंच नहीं खाया गया। शायद मेरे चेहरे पर कुछ था जो मैक्स ने देख लिया।

“चल बाहर चलते हैं।” वह मुझे स्कूल कैफे से बाहर घसीट लाया।

मेरा चेहरा तप रहा था और माथे पर पसीना छलछला आया। बाहर आकर वॉटर फाउंडेशन से मैंने पानी पिया और मुँह भी धोया।

“मैक्स, तुझे अपनी एक बहुत निजी बात बतानी है। पहले प्रॉमिस कर किसी को नहीं बताएगा।”

“प्रॉमिस।” मैक्स ने अपने सीने पर क्रॉस का निशान बनाया।

“पक्का वादा?”

“हाँ, दोस्ती का पक्का वादा।”

“मेरी दोनों मम्मियाँ गे हैं।” मैंने अपनी सारी हिम्मत बटोरकर इतनी जल्दी से कहा कि अगर एक पल के लिए, साँस लेने के लिए भी रुकता तो शायद कह नहीं पाता।

मैक्स के चेहरे पर कोई भाव नहीं बदला। मुझे अचरज हुआ।

“मुझे मालूम है। मेरे डैड ने कहा था कि लगता है रॉबी की दोनों माँओं का समलैंगिक रिश्ता है पर जब तक रॉबी खुद न बताए, तुम मत पूछना ताकि वह असहज न महसूस करे।”

“तुम्हें अजीब नहीं लगा?”

“नहीं, अनीश का अंकल भी गे है।”

“तुम्हें कैसे मालूम?”

“मुझे कैसे मालूम होगा? वह तो भारत में है। अनीश ने ही बताया।”

मेरी फटी हुई आँखें देखकर बोला, “अरे हर जगह के लोग “गे” हो सकते हैं। अनीश का अंकल शादी नहीं करना चाहता था। उसके माता-पिता ने जबरदस्ती सुंदर सी लड़की से उसकी शादी करवा दी। शादी के बाद वह उसको मारता था। कहता था, तू मुझे अच्छी ही नहीं लगती। एक दिन धक्का दे दिया तो वह रोती हुई वापिस अपने माँ-बाप के पास चली गई। अनीश की मम्मी कहती है शायद वह “गे” है। अनीश ने चोरी से यह बात सुन ली थी फिर मुझे बता रहा था। खैर, हमें क्या लेना है इन बातों से। मेरे डैड कहते हैं, जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए।”

मुझे मैक्स की बात अच्छी लगी। एकदम पूछ बैठा, “तो फिर तुम मेरे घर खेलेने आओगे?”

“हाँ आऊँगा। पर एक बात तुम भी मेरी मानोगे?”

“क्या?” मैं इस वक्त उसकी हर बात मानने को तैयार था – दोस्ती के नाम पर।

“प्लीज स्कूल की काउंसलर मिसेज रिचर्डसन से मिललो और जो-जो बातें तुम्हें परेशान करती हैं, उन्हें बता दो। तुम्हें अच्छा लगेगा।”

अगले दिन ही मैं मिसेज रिचर्डसन से मिला। वह मुझे बहुत अच्छी लगीं। उन्होंने प्यार से मेरी बातें सुनीं। मुझे लगा कि जो बातें मैं दोनों मॉम से नहीं कह सकता वह बातें, अपने सभी डर, चिंताएँ, सरोकार मैं उनसे कह सकता हूँ।

मैंने उन्हें जॉन ओर उसके दोस्तों की कही बात बताई। क्या सचमुच मेरी मम्मियाँ पाप वाली जिंदगी जी रही हैं? क्या वे सचमुच नरक की यातना भोगेंगी? मेरी दोनों मॉम इतनी अच्छी और प्यारी हैं कि उन्हें कोई तकलीफ हो, इस ख्याल से ही मेरी आँखें डबडबा आईं।

मिसेज रिचर्डसन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुस्कराईं।

“वे सब लोग गलत मतलब निकालते हैं। अच्छा रॉबी, तुम बताओ, जीसस क्या कहते हैं?”

“सब से प्यार करो।” मैं धीमे से बुदबुदाया।

“तो जीसस सब से प्यार करता है।” उन्होंने “सबसे” शब्द पर जोर दिया।

मैं चुप।

“तो वह सबसे प्यार करता है चाहे वह कोई भी क्यों न हो। उनका प्यार कुछ खास लोगों के लिए नहीं है, अपने सब बच्चों के लिए है। अगर जॉन की मम्मी के लिए है तो तुम्हारी मम्मियों के लिए भी है।”

मुझे सुनकर अच्छा लगा। मैं मुस्करा दिया।

मैं उनके ऑफिस से बाहर निकला तो लगा जीसस की बात का असली मतलब तो मिसेज रिचर्डसन ही समझती हैं। अब मैं भी यही करूँगा। सबसे प्यार करूँगा, जॉन, स्कॉट, अनीश, टोनी और मैक्स सभी से।

दोनों मम्मियाँ एक रैली पर गई थीं। शायद कोई बहुत ही जरूरी बात होगी वरना वे हमें यूँ अकेला कम ही छोड़ती हैं। मैं और ज़ैरा बेबी सिटर के साथ घर पर थे – टेलीविजन देखते हुए।

मॉम लोग तो बस एक या दो प्रोग्राम ही देखने देती हैं पर आज बेबी-सिटर थी, टेलीविजन देखने की पूरी छूट भी।

समाचार चल रहे थे। बहुत से लोग नारे लगा रहे थे।

“समलैंगिकों को भी कानूनी विवाह की अनुमति मिलनी चाहिए।”

“हमारे साथ भेद-भाव बंद करो।”

“हमें भी वही अधिकार मिलने चाहिए जो किसी भी वैवाहिक जोड़े को मिलते हैं।”

भीड़ में मुझे मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी के जोश से भरे तमतमाते चेहरे दिखे।

फिर टेलीविजन पर एक आदमी दूसरी ही खबर बताने लगा।

“कैनसास सिटी में एक समलैंगिक लड़के को कुछ लोगों ने सता-सता कर जान से ही मार डाला।” फिर कुछ पुलिस के लोग दिखाई दिए, उस लड़के की रोती हुई माँ और उसके भौचक्के दोस्त।

मैंने ज़ैरा को अपने से सटा लिया।

“पता है, कुछ लोग समलैंगिकों को बहुत नफरत करते हैं। होमोफोबिक होते हैं ये लोग! अरे बाबा, जियो और जीने दो।” बेबी-सिटर अपनी कमेंट्री देती जा रही थी।

अगर किसी ने मेरी मम्मियों को भी…? मैं काँपता हुआ अपने बेडरूम में आ गया। आँखों तक कंबल खींच लिया। मेरी साँस बहुत तेज-तेज चल रही थी। मुझे लगा कि कुछ लोग मेरी मम्मियों को रस्सियों से बाँध रहे हैं। उन पर पत्थर फेंक रहे हैं। उन्हें गंदी-गंदी गालियाँ दे रहे हैं। मम्मियों के बदन से खून ही खून बह रहा है और उनकी गर्दनें एक ओर लुढ़क गई हैं।

मैंने घबरा कर आँखें खोल दीं। शायद मैं सपना देख रहा था। पसीने से तरबतर मेरे बदन में मेरा दिल इतने जोर से धड़क रहा था कि लगा अभी मेरे शरीर से बाहर आ जाएगा। मैंने मम्मी को आवाज देनी चाही पर लगा मेरी अपनी आवाज भी ऐसे मौके पर डर के मारे गूँगी हो गई थी।

मैं चुपचाप छत की ओर देखता रहा। फिर मन ही मन प्रार्थना करने लगा। धीरे से पर्दा उठाकर खिड़की के बाहर देखा। मॉम की गाड़ी ड्राइव-वे पर खड़ी थी। इसका मतलब मम्मियाँ घर में आ चुकी हैं।

मैं थोड़ा-सा शांत हो गया। मैक्स के डैडी कहते हैं कि दुनिया में बहुत से ऐसे पागल लोग भी रहते हैं जिन्हें पहचान पाना आसान नहीं होता। वे लोग अपने अलावा सब को गलत समझते हैं। दूसरों की गलती सुधारने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे गलती-सुधारक लोगों से मुझे दहशत होती है। अक्सर रात को मेरी नींद खुल जाती है। मैं किसी से कहता नहीं पर रात को सोने से पहले जाकर सभी दरवाजे देख लेता हूँ कि ठीक से बंद हैं न! पता नहीं क्यूँ रात को ही डर ज्यादा लगता है। शर्ली मम्मी से भी कह दिया है कि वह मेरे लिए दरवाजा खुला न रख छोड़ा करें पर उनको समझ ही नहीं आता।

आजकल तो दोनों मम्मियाँ लगता है किसी बड़े काम में व्यस्त हैं। फोन पर लोगों से बातें करती हैं तो एक ही शब्द बार-बार सुनाई देता है – “गे राइट्स”। आए दिन रैली में भाग लेने जाती हैं। शर्ली ममी तो पता नहीं क्या-क्या दस्तावेज तैयार करती रहती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि वे कोई बहुत बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रही हैं।

शर्ली मम्मी उस दिन किसी से फोन पर कह रही थीं यह लड़ाई हम सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दुनिया में रहने वाले सभी समलैंगिकों के लिए लड़ रहे हैं। इस आंदोलन की शुरुआत किसी ने तो करनी ही है। हम झंडा लेकर चलेंगे तो बाकी भी फॉलो करेंगे। हमारी रुचि और आकर्षण अलग हो सकते हैं पर गलत नहीं। सही बात के लिए हम पूरी ताकत से लड़ेंगे।”

मैं ये सब बातें ठीक से नहीं समझता। पर मम्मियाँ जो भी करेंगी, मैं उनका साथ दूँगा। यह मेरा भी अपने से वादा है।

उस दिन शर्ली मम्मी कोई फाँर्म भर रही थीं तो एकदम नाराज होकर पेन ही फेंक दिया।

“बारह साल हो गए हमे साथ रहते हुए और अभी तक “सिंगल” पर ही निशान लगा रहे हैं। फिर अलग-अलग, दुगुना इनकम-टैक्स भी भरना पड़ता है।”

मिशेल मॉम के चेहरे पर दुख और बेबसी का भाव था। मैं यह जान जाता हूँ पर समझ नहीं पाता कि मैं कैसे दोनों मम्मियों को खुश करूँ? मैंने मॉम जो के गले में बाँहे डाल दीं और गाल पर किस्सी दी। मॉम ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया। मुझे लगा कि मैं कम से कम यह तो कर ही सकता हूँ।

सुबह स्कूल जाने से पहले मैं आँखें मलता हुआ नीचे आया तो वहीं का वहीं ठिठक गया। किचन टेबल पर आज का अखबार बिखरा पड़ा था और दोनों मॉम एक-दूसरे के गले से लिपटकर खुशी से गोल-गोल घूमे जा रही थीं।

मुझे देखा तो शर्ली ममी ने दौड़कर मुझे भी गोदी में उठा लिया और झूम गईं।

“रॉबी! बिल पास हो गया।”

मैं अभी भी उन्हें हक्का-बक्का देख रहा था। पागल हो गई हैं क्या दोनों?

“अब न्यूयॉर्क में भी “गे-मैंरिज बिल” पास हो गया है। अब हम दोनों शादी कर सकेंगी।

मम्मियों को इतना ज्यादा खुश आज मैंने पहली बार देखा।

“कब होगी शादी?” मैं भी खुश था क्योंकि दोनों मॉम खुश थीं।

“जल्दी, बहुत जल्दी।” मिशेल मॉम बस अब और इंतजार नहीं करना चाहती थीं।

और हमारे घर में शादी की तैयारियाँ शुरू हो गईं। सबको निमंत्रण भेजे जा रहे थे। मेरे और ज़ैरा के नए कपड़े भी आ गए। मैक्स के डैड ने कहा कि वह शादी की रस्म के बाद मॉम और मम्मी को अपनी बड़ी वाली कार में घर ले आएँगे।

मम्मी और मॉम थोड़ी खुस-पुस करती रहती थीं। लगा कोई बात है जो इन्हें पूरी तरह खुश नहीं होने दे रही। मैं अपना होमवर्क कर रहा था तो मैंने सुना कि शर्ली ममी अपनी मासी से बात कर रही हैं।

“मेरी माँ को समझाओ। यह दिन मेरे लिए बहुत खास है। अगर वे इस शादी में नहीं आएगी तो….” और मम्मी सुबकने लगीं।

शादी वाले दिन मैंने अपना काला टक्सिडो पहना और ज़ैरा ने लेस वाला गुलाबी फ़्रॉक। मिशेल मॉम ने क्रीम रंग का पैंट-सूट और शर्ली मम्मी ने भी उसी रंग का स्कर्ट-सूट। मिशेल मॉम वाली नानी ने दोनों अँगूठियों के डिब्बे अपने पर्स में सँभाल कर रख लिए। सभी घर आने वाले मेहमान आ चुके थे और मम्मियों के दोस्तों ने हमें सिटी हॉल के बाहर ही मिलना था। मॉम के ऑफिस का कोई आदमी हमारी तस्वीरें ले रहा था कि इतने में दरवाजे की घंटी बजी।

मेहमान को देखकर शर्ली मम्मी की खुशी से चीख निकल गई। वह दौड़कर उस बुजुर्ग महिला से लिपट गईं। वह रोती जा रही थीं और बोलती जा रही थीं – “थैंक यू मॉम, थैंक यू। थैंक यू सो मच।”

मैं समझ गया जरूर दूसरी वाली नानी होंगी।

रजिस्ट्रार के दफ्तर में मॉम और मम्मी ने दस्तखत किए। नानी ने मुझे और ज़ैरा को एक-एक अँगूठी पकड़ा दी और हमें मम्मियों को दे देने का इशारा किया। मिशेल और शर्ली मम्मी ने एक दूसरे की उँगली में अँगूठी पहनाई तो वहाँ खड़े सभी लोगों ने तालियाँ बजानी शुरु कर दीं। मॉम और मम्मी ने सबके सामने एक-दूसरे को किस्स किया तो मॉम की मम्मी ने उन पर फूल फेंके।

मैक्स के डैड अपनी कार बिल्कुल दरवाजे तक ले आए। उस पर दो बड़े-बड़े बैलून बँधे थे और पीछे के शीशे पर सफेद रंग से लिखा था – ” न्‍यूली मैरिड “

मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पीछे की सीट पर बैठ गईं। उनके पीछे की कार में मिशेल मॉम वाले नाना ड्राइवर सीट पर और नानी उनके बगल में बैठे। ज़ैरा को बच्चों वाली सीट पर पेटी से बाँधने के बाद दूसरी वाली नानी मेरे साथ पिछली सीट पर बैठ गईं।

“तुमने आखिरी वक्त पर आने का इरादा कैसे बना लिया?” बड़ी नानी ने पूछा तो दूसरी नानी खो सी गईं।

“क्योंकि… क्योंकि मेरी बहन ने कहा कि जैसे तुम अपने दिवंगत पति से अभी तक इतना प्रेम करती हो, शर्ली भी वैसे ही मिशेल से प्यार करती है। अपने प्रेजुडिसेज (पूर्वाग्रहों) की वजह से उसे किसी भी तरह से कमतर न आँको। सोचती रही, बस फिर लगा कि शर्ली की खुशी के लिए मुझे आना चाहिए। आ गई।”

अचानक हम सबका ध्यान बँटा। बड़ी नानी के मुँह से तो हल्की-सी चीख ही निकल गई। एकदम हमारे आगे खड़ी नव-विवाहित जोड़े वाली कार के ऊपर एक आदमी कुछ फेंक कर तेजी से भाग गया। हम सब सकते में आ गए – कहीं बम तो नहीं? मुझे लगा कि मेरी साँस रुक रही है।

कार के पिछले शीशे पर लिखा “न्यूली मैरिड ” शब्द, अंडे की जर्दी और सफेदी के नीचे दब गया था।

Download PDF (कतार से कटा घर)

कतार से कटा घर – Katar Se Kata Ghar

Download PDF: Katar Se Kata Ghar in Hindi PDF

Yoast SEO Premium

Toggle panel: Yoast SEO Premium

Focus keyphraseHelp on choosing the perfect focus keyphrase(Opens in a new browser tab)Get related keyphrases(Opens in a new browser window)

Google preview

Preview as:Mobile resultDesktop resultUrl preview:www.hindiadda.com › katar-se-kata-gharSEO title preview:कतार से कटा घर | Anil prabha kumar | Hindi Stories | हिंदी कहानी – HindiAddaMeta description preview:

See also  बड़ी अम्मा का फ्यूनरल | गाब्रिएल गार्सिया मार्केज

Oct 7, 2019 - कतार से कटा घर | Anil prabha kumar | Hindi Stories | हिंदी कहानी | अनिल प्रभा कुमार की हिंदी कहानीयो के लिए HindiAdda पर आए Story – HindiAddaSEO titleInsert variableकतार से कटा घर | Anil prabha kumar | Hindi Stories | हिंदी कहानी Page Separator Site title Site titleTitlePrimary categorySeparatorSlugMeta descriptionInsert variableकतार से कटा घर | Anil prabha kumar | Hindi Stories | हिंदी कहानी | अनिल प्रभा कुमार की हिंदी कहानीयो के लिए HindiAdda पर आए Primary category Separator Site title Site titleTitlePrimary categorySeparator

SEO analysisGoodकतार से कटा घर

Add related keyphrase

Cornerstone content

Advanced

  • Post
  • Block

Status & visibility

Template

Article Subtitle

Set a 

स्कूल की बस सड़क के किनारे रुकी तो हम तीनो बस्ते सँभाल कर खड़े हो गए। बस ड्राइवर ने बटन दबाया और एक तीन फुट की लंबी-सी लाल पट्टी खिच कर बाहर निकल आई जैसे किसी ट्रैफिक-पुलिस वाले की बाँह हो। उसके सिरे पर लाल अष्टकोण सा हाथ, जिस पर सफेद अक्षरों से लिखा था – स्टॉप। दोनों तरफ की कारें जहाँ की तहाँ रुक गईं – बच्चे उतर रहे हैं। रुकना कानून है। ड्राइवर ने बस का दरवाजा खोल दिया। स्कॉट और अनीश मुझसे पहले उतरकर, पीठ पर बस्ता झुलाते, गप्पें मारते जा रहे थे और मैं उनके पीछे चुपचाप चलता गया। वह ऐसे चलते हैं जैसे मैं हूँ ही नहीं।

“होम-वर्क करने के बाद मेरे घर आ जाना, बेसबॉल खेलेंगे।” स्कॉट ने बाई ओर अपने घर की ओर मुड़ते हुए जोर से कहा।

“हाँ, आ जाऊँगा। तेरे डैडी तो बॉल फेंक कर प्रैक्टिस करवा ही देंगे। कुछ बेचारों के घर में तो कोई मर्द ही नहीं होता। बेचारे! च्च च्च।” कहकर अनीश मेरी ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा।

जी में आया कि एक जोर का घूँसा मारकर इसके सारे दाँत तोड़ दूँ। वह ऐसे घटिया तानों के बँटे मेरी ओर अक्सर फेंकता रहता है। एक ही पड़ोस में रहते हैं हम सभी पर मुझे कभी खेलने के लिए नहीं बुलाते और न ही कभी मेरे घर आते हैं। हालाँकि यह एक बड़ा निजी सा पड़ोस है, शहर के सबसे अमीर इलाके में। पाँच घर दाएँ और पाँच घर बाएँ और दोनों कतारों के बीच में ग्यारहवाँ घर हमारा जहाँ आकर सड़क रुक जाती है। मेरा घर न दाई कतार में आता है और न बाई कतार में। बस कतारों से कटा हुआ है।

अनीश का घर दाई कतार में है। मुड़ने से पहले उसका हाथ मुझे बॉय करने के लिए उठा पर सामने गेट पर उसकी मम्मी खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। अनीश ने अपना हाथ नीचे गिरा लिया और जल्दी से अंदर भाग गया।

मैं भी उन को अनदेखा कर अपने घर चला गया। शर्ली मम्मी हमेशा मेरे आने के लिए दरवाजा खुला छोड़ देती हैं पर उनके कान दरवाजे की ओर ही होते हैं ताकि मेरे आने की आहट सुन सकें। मुझे बहुत अच्छा लगता है यह।

मम्मी ने पास आकर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा, “कैसा रहा मेरे बेटे का दिन?”

“ठीक था।” कहकर मैं ऊपर अपने कमरे की ओर भाग गया। जमीन पर बस्ता फेंककर खुद को भी पलंग पर फेंक दिया। रुलाई छूट रही थी। मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी को क्या पता कि उनकी वजह से मेरे साथी मुझ पर कैसी तानाकशी करते हैं। आज मुझे अपनी दोनों मम्मियों पर बहुत गुस्सा आ रहा है। वे तो बहुत बहादुर हैं। कहती हैं हम अपनी शर्त्तों पर जी रही हैं पर मेरे बारे में कुछ नहीं सोचती कि लड़के मुझे कितना छेड़ते हैं। आज प्ले-ग्राउंड में डेविड और अनीश ने मुझे जान-बूझकर धक्का मार दिया। मेरी कोहनी छिल गई और आँखों में आँसू आ गए तो वे लोग मुझे चिढ़ाते हुए, मुँह फाड़कर, हँसने लगे – “औरतों के साथ रहेगा तो रोएगा ही न?”

मैं चुपचाप उठकर चलने लगा तो पीछे से जेरेमी ने भी चलते हुए मुझे अड़ंगी मार दी। मैं गुस्से से पलटा तो वह भी ऐसे ही हँसने लगा था। “अरे! तुझे सेव करना कौन सी मम्मी सिखाएगी? बोल… बोल ना”

“मेरे डैड सिखा देंगे, इसमें कौन सी बड़ी बात है।” मैक्स ने बड़ी लापरवाही से कहा और मुझे खींचकर दूर ले गया।

मैं तो चुप रहता हूँ। शर्ली मम्मी कहती हैं, “ध्यान ही मत दो। एक कान से सुनो और दूसरे से निकाल दो। इतना आसान होता है क्या? मिशेल मॉम तो नर्सरी राइम ही गुनगुनाना शुरू कर देती हैं।

मैं भी तो मन ही मन यही कहता रहता हूँ – ‘स्टिक एंड स्टोंस, मे ब्रेक माइ बोंस, बट वर्डस विल नैवर हर्ट मी।’ तभी तो ढीठ बना मुस्कराता रहता हूँ। पर बातें ही तो सबसे ज्यादा तकलीफ देती हैं। कोई ऐसा दोस्त भी तो नहीं है मेरा जिससे मैं अपने दिल की बात करूँ। मैक्स मेरा दोस्त है। वह अच्छा भी है पर उससे भी यह खास बात कहते डरता हूँ कि कहीं वह दोस्ती ही न तोड़ दे।

मैं अनमना सा अपनी किताबें और कॉमिक बुक्स पलटने लगा। मेरे हाथ में अपनी बनाई हुई तस्वीर आ गई “मेरा परिवार”। किंडरगार्डन में था, तब की। इसकी वजह से ही क्लास में मेरा मजाक बना था। टीचर ने कहा था सभी बच्चे अपने परिवार की तस्वीर बनाओ। तभी मैंने अपने परिवार की यह पेंटिग बनाई थी। जिसमें दोनों मम्मियाँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मैं बेसबॉल हैट पहन कर बीच में मुस्करा रहा हूँ। जैरा पास ही घास पर लेटी है।

टोनी ने दीवार पर लगाने के लिए सब की तस्वीरें इकट्ठी कीं। अनीश मेरी पेंटिग देख कर जोर-जोर से हँसने लगा। मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया।

“परिवार में दो मम्मियाँ थोड़े-ही होती हैं, बुद्धू!”

“पर मेरी तो दो मम्मियाँ ही हैं।” मैं परेशान सा हो गया।

अनीश ने टोनी से चित्र खींच कर मेरे आगे फेंक दिया।

“नहीं, बिल्कुल नहीं होतीं!” टोनी ने भी अनीश का साथ दिया।

मैंने अपनी पेंटिंग वापिस बस्ते में रख ली।

तब तक छुट्टी की घंटी बज चुकी थी।

उस दिन मैं बहुत चुप था। सोच रहा था कि किससे बात करूँ? वैसे तो मेरी दोनों ही मम्मियाँ मुझे बहुत प्यार करती हैं। कभी-कभी सोचता हूँ कि मैं कितना किस्मत वाला हूँ कि मुझे दो-दो माँओं का प्यार मिलता है। स्कॉट के मम्मी-डैडी तो हर वक्त लड़ते ही रहते हैं। कभी-कभी तो हमारे घर तक भी आवाज आ जाती है। एक बार सबके सामने ही उन्होंने स्कॉट को तमाचा जड़ दिया था। मैक्स ने बताया कि वह तो स्कॉट की मम्मी की भी पिटाई कर देते हैं। हमारे घर में तो कोई ऊँची आवाज में बात तक नहीं करता। दोनों ही मॉम मेरे होमवर्क में मदद करती हैं और जब वक्त मिले तो खेलती हैं, बातें करती हैं।

मिशेल मॉम ने ही मुझे बताया था कि “गे” का मतलब क्या होता है? जब एक ही लिंग के दो लोग आपस में प्रेम करते हैं और अपना जीवन साथ बिताना चाहते हैं तो वे लोग “गे” कहलाते हैं। वे दो मॉम भी हो सकती हैं और दो डैड भी।

बस, इतनी सी बात! इसके बाद मुझे कुछ और जानने में दिलचस्पी ही नहीं हुई। मुझे क्या फर्क पड़ता है, जब तक हमारे परिवार में सब प्यार से रहते हैं। स्कॉट के मम्मी-डैडी की तरह हर वक्त लड़ते-झींकते तो नहीं रहते!

अगले दिन टीचर ने जब मेरी पेंटिंग के बारे में पूछा तो मैंने धीरे से पास जाकर बता दिया कि अनीश और टोनी कहते हैं कि दो मम्मियाँ नहीं हो सकती पर मेरी तो दो मम्मियाँ हैं। इसलिए मैं अपनी पेंटिंग नहीं दे सकता!

टीचर चुप हो गई! उसने सबकी तस्वीरें हाथ में पकड़ लीं और हम सबको अपने पास आने को कहा। एक-एक करके वह सब तस्वीरें दिखाने लगी। सब तस्वीरें एक दूसरे से अलग थीं। किसी में एक माँ और दो बच्चे! किसी में एक बच्चा और दो मम्मी-डैडी! किसी मे सिर्फ डैडी और दो बच्चे। ऐसे ही टीचर सब की तस्वीरें दिखाती गई।

“देखा तुमने। हर परिवार अपने आप में खास होता है। परिवार प्यार से बनता है इसलिए दो मम्मियों वाला परिवार भी हो सकता है और दो डैडियों वाला भी।”

मैंने अपनी पेंटिंग टीचर को दे दी। उसके बाद से उस स्कूल में मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा।

पर आज स्कूल वाली घटना से मुझे लगा कि हमारे घर में शायद कुछ अटपटा है। शाम को जब मैं मॉम और मम्मी के बीच बैठकर टेलीविजन देख रहा था – कोई फैमिली प्रोग्राम, तो वही एक बात मुझे तंग किए जा रही थी कि मेरी फैमिली कुछ अलग है।

“मॉम, क्या हम लोग अजीब हैं? औरों जैसे नहीं हैं?”

दोनों मम्मियाँ चुप हो गईं। एक-दूसरे को देखने लगीं। मुझे लगता है कि दोनों मम्मियों के बीच कुछ है, कोई जादू जैसा। वह बस एक-दूसरे की ओर देखती हैं और आपस की बात समझ जाती हैं। कुछ है उन दोनों के रिश्ते के बीच कि उसका गुनगुनापन मुझे और ज़ैरा को भी छूता रहता है।

शर्ली मम्मी ने खींच कर मुझे अपने पास बिठा लिया। मेरे बाल सहलाने लगी।

“नहीं रॉबी, हम लोग बिल्कुल अजीब नहीं। जब से दुनिया बनी है, हर समय, हर समाज और हर धर्म में इस तरह के लोग होते हैं जिनकी पसंद अलग-अलग होती है। वह जान-बूझ कर ऐसा नहीं करते। वह होते ही ऐसे हैं। बस, ज्यादातर लोग इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि कोई उनसे अलग तरह की सोच या पसंद वाला इनसान भी हो सकता है। इसलिए कई देशों में उन्हें जेल में डाल देते हैं, यातनाएँ देते हैं।”

“रेत में सिर छुपा लेने से तो तूफान को नहीं नकारा जा सकता। लोग इस बात को मानना ही नहीं चाहते इसीलिए ज्यादातर लोग अपने संबंधों को छिपाकर रखते हैं। हम क्योंकि खुले समाज में रहते हैं तो कोशिश कर रहे हैं कि जो हम हैं, उसी तरह से रहें! हम अलग हैं पर गलत नहीं!”

दोनों मम्मियों ने मुझे इतना लंबा भाषण दे दिया। मैं तो कुछ और ही पूछना चाहता था।

“मॉम, क्या सचमुच मेरा कोई डैडी नहीं है?” जो मैं पूछना चाहता था, वह वैसे का वैसे ही मेरे मुँह से निकल गया।

थोड़ी देर के लिए चुप्पी छा गई। मिशेल मॉम गंभीर होकर कुछ सोचने लगी। मैं जवाब के इंतजार में मॉम के मुँह की ओर देख रहा था। मॉम मुझसे कभी झूठ नहीं बोलतीं, मुझे मालूम है।

मिशेल मॉम धीरे से अपना हाथ मेरी पीठ पर रखकर मुझे देखती रहीं फिर धीरे-धीरे बोलीं जैसे मैं उनके जितना ही बड़ा होऊँ!

“देख रॉबी, मुझे शुरु से ही अपने बारे में मालूम था कि मैं कैसी हूँ। हम जैसे होते हैं न, वैसे ही होते हैं। इसके अलावा कुछ और हो ही नहीं सकते। मुझे पुरुषों ने कभी आकर्षित किया ही नहीं।”

मैंने सोचा यह तो बड़ी आसान सी बात है।

“मैं और शर्ली आपस में ऐसे ही प्रेम करती हैं जैसे बाकी जोड़े करते हैं। हमें एक-दूसरे का बहुत सहारा है। हमने बाकी की जिंदगी एक साथ बिताने का वादा किया है।

“हुँह”। यह भी मेरी बात का जवाब नहीं हुआ।

शर्ली मम्मी ने शायद मेरे चेहरे पर की उलझन समझ ली। मेरी ठुड्डी हाथ में लेकर बड़े प्यार से बोली, “हमें लगा कि हमें एक प्यारा सा बच्चा चाहिए जिस पर हम अपना सारा प्यार उड़ेल सकें।”

तो वह प्यारा सा बच्चा मैं हूँ, जिस पर यह दोनों मम्मियाँ प्यार उड़ेलना चाहती थीं। मुझे अपने होने पर गर्व हुआ और मैं मुस्कुरा उठा।

“मिशेल तुम्हें जन्म देगी। हमने काफी सोच-विचार के बाद निश्चय किया। फिर वह एक खास डॉक्टर के पास गई जो बिना किसी आदमी के संपर्क में आए बच्चे पैदा करने में मदद करता था।” शर्ली मम्मी बता रही थीं।

“वह कहने लगा कि वह सिर्फ स्त्री-पुरुष के उन जोड़ों की ही मदद करता है जिन्हें बच्चे पैदा करने में मुश्किल होती है। फिर वह डॉक्टर अपने हिसाब से मुझे बताने लगा कि सही क्या है और गलत क्या है। उसने साफ कह दिया कि मैं ऐसा नाजायज बच्चा पैदा करने में तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।” वह घटना याद करके मिशेल मॉम का मुँह उस वक्त भी तमतमा उठा था।

“फिर?” मुझे कहानी दिलचस्प लग रही थी।

“फिर मेरी एक सीनियर डॉक्टर ने मेरी मदद की। उसने मुझे एक चार्ट दिखाया जिसमें नामों की जगह सिर्फ नंबर लिखे थे, फोटो भी नहीं!” मॉम हँस पड़ी।

“उन्हीं में से मैंने एक नंबर तीन सौ बयालीस चुना। जिसका कद छह फुट तीन इंच था। सुडौल शरीर और वह जीवाणुओं पर शोध कर रहा था। बस, इतनी ही सूचना उपलब्ध थी। मेरी उस सीनियर डॉक्टर ने बस उसके डोनेट किए स्‍पर्म (दान किए हुए बीज) को मेरे अंदर डाल दिया और तू मेरी कोख में आ गया।”

मैंने सिर हिला दिया तो मैं मॉम मिशेल की टमी से आया हूँ।

“मैंने तुझे जन्म दिया तो मैं हुई तेरी जन्म माँ और शर्ली ने कानूनन अर्जी दे कर तुझे पालने का अधिकार ले लिया तो वह हुई तेरी सह-माँ।”

“शुक्र है कि हमारे स्‍टेट में यह संभव था।” शर्ली मम्मी ने बात का आखिरी वाक्य कह दिया।

मॉम और मम्मी मुझसे ऐसे ही मिलकर बातें करती हैं तो मैं अपने आप को खास समझने लगता हूँ। मुझे लगता है कि मेरी मम्मियाँ भी खास हैं। पर इस बड़े स्कूल में जब लड़के घुमा-फिरा कर मेरी मम्मियों के बारे में गंदी बातें कहते हैं, मैं सुलग जाता हूँ। तब मुझे दोनों मॉम के ऊपर भी बहुत गुस्सा आता है। उन्हें क्या मालूम कि लोग उनके बारे में कैसी-कैसी बातें करते हैं। अनीश और टोनी तो मेरे मुँह पर ही कह देते हैं कि उनके मम्मी-डैडी ने कहा है कि “सिक” लोगों के घर नहीं जाना!

सिक? मैं खौल जाता हूँ। मेरी मिशेल मॉम, इतनी जानी-मानी डॉक्टर हैं और शर्ली मम्मी के लेख तो बड़ी-बड़ी पत्रिकाओं में छपते हैं। मैं अपनी क्लास में सबसे अच्छे नंबर लाता हूँ और मेरी बेबी सिस्टर ज़ैरा तो दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची है। हम लोग सिक कैसे हुए भला? मम्मियाँ हमें इतना प्यार करती हैं बस हमें और कुछ भी नहीं चाहिए। रोज डिनर के वक्त बैठकर समझाती हैं कि क्या बात गलत होती है और क्या ठीक। मॉम कहती है कि कभी किसी को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए जिससे उसका दिल दुखे। ये लोग तो रोज मेरा दिल दुखाते हैं फिर ये लोग मुझसे अच्छे कैसे हुए? तभी तो मैं अपने घर की बात किसी से करता ही नहीं, मैक्स से भी नहीं!

ज़ैरा शायद आ गई थी। मिशेल मॉम अस्पताल से लौटते वक्त उसे लेकर आई हैं। ज़ैरा हर वक्त हँसती रहती है। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें देखकर मैं भी हँस पड़ता हूँ। जब कोई भी मम्मी उसको स्ट्रॉलर में डालकर घुमाने निकलती हैं तो लोग अजीब सी निगाहों से उसे पलट कर देखते हैं शायद इसलिए कि ज़ैरा काली है और हम तीनों गोरे। मम्मियाँ कहती हैं कि वे दोनों “कलर ब्लाइंड” हैं, उन्हें तो रंग में फर्क नजर ही नहीं आता।

जब से ज़ैरा हमारे घर में आई है, हमें लगता है कि परिवार पूरा हो गया है! ज़ैरा की असली मम्मी तो फ्लोरिडा की जेल में है और उसके डैडी का तो उसकी मम्मी को भी नहीं मालूम। पर अब तो ज़ैरा मेरी बहन है, हमारे परिवार की सदस्य।

मिशेल मॉम कहती हैं, शुक्र है कि हमारे राज्य मे हमे बच्चे गोद लेने का अधिकार है, दूसरे कई राज्यों में तो अभी भी दोनों मम्मियाँ या दोनों डैड बच्चे गोद नहीं ले सकते। अच्छा हुआ, नहीं तो बेचारी ज़ैरा कहाँ रहती? मैं किस के साथ खेलता?

ज़ैरा है तो भोली-भाली सी। एक बार मुझे रात को बहुर डर लगा तो मैं मम्मियों के कमरे में सोने के लिए जा रहा था पर उनका दरवाजा अंदर से बंद था। मॉम ने सिखाया है कि कभी किसी के बैड-रूम में नहीं जाते। अगर दरवाजा खुला भी हो तो भी हमेशा खटखटा कर, पूछकर ही जाना चाहिए। मैंने दरवाजा खटखटाया तो कोई आवाज नहीं आई। मैंने जोर-जोर से दरवाजा पीटना शुरु कर दिया। थोड़ी देर में मॉम की झल्लाहट भरी आवाज आई।

“क्या चाहिए, रॉबी?”

“मेरे कमरे में मॉन्सटर है, मैं वहाँ अकेला नहीं सो सकता।” मैं रो दिया था।

थोड़ी देर बाद मिशेल मॉम ने दरवाजा खोला। उन्होंने हाथ बढ़ा कर मेरे गाल थपथपाएँ। फिर प्यार से पुचकार दिया।

“मेरा रॉबी बेटा तो बड़ा बहादुर है न, एकदम सुपरमैन!”

“हाँ”, मैं फिर से ठुसका था।

मॉम ने हँसकर कहा, “अच्छा जा, ज़ैरा के कमरे में जाकर सो जा।”

मैं खुश हो गया क्योंकि यूँ मम्मियाँ मुझे कभी भी सोई हुई ज़ैरा के कमरे में नहीं जाने देतीं कि वह जाग जाएगी। मैं मुस्कराता हुआ ज़ैरा के कमरे में आ गया। वह भी नींद में मुस्करा रही थी। क्रिब में तो वह लेटी थी और अपने लेटने की कोई जगह मुझे दिखी नहीं। मैंने भी मौके का फायदा उठाकर उसके स्टफड भालू का तकिया बना लिया और वहीं उसके पास कार्पेट पर ही लेट गया।

शर्ली मम्मी कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। शायद उनकी तबियत ज्यादा ही बिगड़ गई। उन्हें तेज बुखार था और कँपकँपी छूट रही थी। उनका जी मतला रहा था और कभी-कभी पेट पकड़ कर वह कराह उठतीं। मिशेल मॉम सारी रात उनके सिरहाने बैठी कभी उनका माथा और कभी हाथ-पाँव सहलाती रहीं। मम्मी निढाल-सी थीं और मॉम परेशान। सुबह मॉम ने अपने अस्पताल फोन किया। “मेरी पार्टनर बहुत बीमार है, मुझे उसका खयाल रखने के लिए कुछ दिन के लिए फैमिली-लीव चाहिए।”

See also  किराये का इंद्रधनुष

उधर से कुछ जवाब आया और मॉम जोर से चिल्लाई, “क्यों नहीं, बाकी सब को तो मिलती है।”

फिर फोन पर पता नहीं क्या बातें हुईं कि मॉम गुस्से से फोन रखकर सीधे बाथरूम में घुस गईं। बाहर निकलीं तो उनकी आँखें सूजी हुई थीं। बिना किसी की ओर देखे उन्होंने शायद कुछ और फोन किए। इमरजेंसी है, बच्चों को देखने वाला कोई नहीं… जैसे शब्द सुनाई दिए।

मिशेल मॉम को छुट्टी नहीं मिली। उन्हें काम पर जाना ही पड़ा। उस दिन हम एक नई बेबी-सिटर के साथ रहे और शर्ली मम्मी अकेली अपने कमरे में जोर-जोर से कराहती रहीं। मॉम जल्दी काम से लौट आईं। वह कभी इतनी आसानी से परेशान होने वाली नहीं पर आज लगा वह कोई और ही मॉम हैं। अंदर जाकर कभी शर्ली मम्मी को छूतीं, कभी उनके गले लगतीं, कभी आँखें पोंछतीं, मैं बाहर से ही सब देख रहा था और सहमा हुआ था।

मॉम एकदम सीधी होकर बैठ गईं, जैसे कुछ फैसला कर रही हों। फिर उन्होंने बेबी-सिटर को मदद करने को कहा। शर्ली मम्मी को अपनी दाई बाँह से सहारा देकर, लगभग अपने ऊपर लादते हुए कार की पिछली सीट पर डाला और गाड़ी चलाकर अस्पताल ले गईं।

उस सारी रात हम बेबी-सिटर के साथ रहे। मॉम ने उसे ही दो-तीन बार फोन किया। सिटर ने मुझे देखा और कहा, “बुरी खबर। तुम्हारी मम्मी के गॉल ब्‍लैडर में स्‍टोन है। ऑपरेशन की जरूरत है पर मिशेल की इंश्योरेंस उसके अस्पताल का खर्चा देने को नहीं तैयार। मेरे डैडी की इंश्योरेंस ने तो मेरी मम्मी की बीमारी का सारा खर्चा दिया था।” फिर थोड़ा सोचते हुए बोली, शायद ये लोग मैरिड नहीं हैं, इसलिए।”

मॉम का फिर फोन आया था। उन्होंने बताया कि उन्हें शर्ली मम्मी के इलाज के लिए ऑपरेशन की इजाजत देने का अधिकार नहीं है, उनके हस्ताक्षर मान्य नहीं। वह प्रतीक्षा कर रही हैं।

मॉम ने मुझसे भी बात की। “रॉबी घबराना नहीं, ज़ैरा का खयाल रखना। सब ठीक हो जाएगा।’

“तुम कहाँ हो मॉम?” मेरी रुलाई छूट रही थी।

“वेटिंग-रूम में बैठी हूँ। शर्ली के कमरे में जाने की मुझे इजाजत नहीं।”

“क्यों?”

“क्योंकि मैं उसकी फैमिली में नहीं आती।” मुझे लगा मॉम फोन पर शायद सिसकी थी।

दूसरे दिन शाम को दोनों मम्मियाँ लौट आईं। शर्ली मम्मी बहुत कमजोर लग रही थीं और मिशेल मॉम बेहद थकी हुईं। रात को जब मैं गुडनाइट करने उनके कमरे की ओर जा रहा था कि कॉरीडोर में ही रुक गया। मिशेल मॉम के जोर-जोर से बोलने की आवाज आई। वह शायद गुस्से में थीं, नहीं तो वह कभी इतने जोर से बोलती नहीं।

“यह बिल्कुल बे-इनसाफी है। बाकी सब को परिवार का सदस्य बीमार होने पर छुट्टी मिल सकती है तो मुझे क्यों नहीं? हमेशा हमसे क्यों दोयम दर्जे का बर्ताव किया जाता है? एक तो औरत होने के नाते वैसे ही भेद-भाव। ऊपर से जब पता चलता है कि मैं उनके तय किए गए संबंधों के साँचे में फिट नहीं बैठती तो और भी कहर टूटता है। पूरे टैक्स देते हैं हम, पर हमें क्यों वह लाभ नहीं मिलते जो किसी भी आम शादी-शुदा जोड़े को मिलते हैं। मेरी बीमा कंपनी क्यों तुम्हारी बीमारी का खर्चा नहीं दे सकती? आज मुझे कुछ हो जाए तो न तुम्हें मेरी नौकरी की पेंशन मिलेगी और न ही दूसरे हक-फायदे जो कि आम तौर पर दूसरे जोड़ों को मिलते हैं। इस घर से भी निकाल दी जाओगी। वारिस बनकर पता नहीं कौन-कौन आ जाएगा।”

शर्ली मम्मी ने भी शायद जवाब में कुछ कहा।

मुझे उनकी बातें कुछ समझ में नहीं आईं सिवाए इसके कि मॉम परेशान है। मैं घबरा गया और बिना गुडनाइट किए ही चुपचाप आकर अपने बिस्तर पर लेट गया।

मैं मम्मियों को नहीं बताता और ज़ैरा तो अभी है ही छोटी। पर मैं इस बात से बहुत घबराता हूँ कि कोई मेरी मॉम को तंग न करे, कोई उनकी बेइज्जती न करे। कोई ऐसी बात न हो जिससे वह दुखी हों। मुझे मालूम है कि मिशेल मॉम वाले नाना-नानी तो कभी-कभी मिलने आ जाते हैं पर शर्ली मम्मी वाली नानी कभी नहीं आतीं, मम्मी इससे दुखी होती हैं।

मम्मियाँ मुझे संडे स्कूल नहीं भेजतीं जहाँ धर्म की शिक्षा दी जाती है पर मेरे स्कूल के कई बच्चे जाते हैं। मैं और मैक्स लंच टाइम में खाना खा रहे थे तभी जॉन और उसके दोस्त दबंगई के मूड में हमारे पास ही आकर बैठ गए। वे सभी मुझसे दो क्लासें आगे हैं। जॉन हमारी तरफ मुँह करके कहने लगा, – “हमारे चर्च में कहते हैं, जो भी रिश्ता एक आदमी और एक औरत के अलावा होता है, वह पाप होता है। ऐसे लोग नर्क में जाते हैं। वे जलते अलावों पर भूने जाते हैं और गर्म सलाखों से दागे जाते हैं।” फिर वे सभी ठहाके मार-मार कर हँसने लगे।

मुझसे लंच नहीं खाया गया। शायद मेरे चेहरे पर कुछ था जो मैक्स ने देख लिया।

“चल बाहर चलते हैं।” वह मुझे स्कूल कैफे से बाहर घसीट लाया।

मेरा चेहरा तप रहा था और माथे पर पसीना छलछला आया। बाहर आकर वॉटर फाउंडेशन से मैंने पानी पिया और मुँह भी धोया।

“मैक्स, तुझे अपनी एक बहुत निजी बात बतानी है। पहले प्रॉमिस कर किसी को नहीं बताएगा।”

“प्रॉमिस।” मैक्स ने अपने सीने पर क्रॉस का निशान बनाया।

“पक्का वादा?”

“हाँ, दोस्ती का पक्का वादा।”

“मेरी दोनों मम्मियाँ गे हैं।” मैंने अपनी सारी हिम्मत बटोरकर इतनी जल्दी से कहा कि अगर एक पल के लिए, साँस लेने के लिए भी रुकता तो शायद कह नहीं पाता।

मैक्स के चेहरे पर कोई भाव नहीं बदला। मुझे अचरज हुआ।

“मुझे मालूम है। मेरे डैड ने कहा था कि लगता है रॉबी की दोनों माँओं का समलैंगिक रिश्ता है पर जब तक रॉबी खुद न बताए, तुम मत पूछना ताकि वह असहज न महसूस करे।”

“तुम्हें अजीब नहीं लगा?”

“नहीं, अनीश का अंकल भी गे है।”

“तुम्हें कैसे मालूम?”

“मुझे कैसे मालूम होगा? वह तो भारत में है। अनीश ने ही बताया।”

मेरी फटी हुई आँखें देखकर बोला, “अरे हर जगह के लोग “गे” हो सकते हैं। अनीश का अंकल शादी नहीं करना चाहता था। उसके माता-पिता ने जबरदस्ती सुंदर सी लड़की से उसकी शादी करवा दी। शादी के बाद वह उसको मारता था। कहता था, तू मुझे अच्छी ही नहीं लगती। एक दिन धक्का दे दिया तो वह रोती हुई वापिस अपने माँ-बाप के पास चली गई। अनीश की मम्मी कहती है शायद वह “गे” है। अनीश ने चोरी से यह बात सुन ली थी फिर मुझे बता रहा था। खैर, हमें क्या लेना है इन बातों से। मेरे डैड कहते हैं, जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए।”

मुझे मैक्स की बात अच्छी लगी। एकदम पूछ बैठा, “तो फिर तुम मेरे घर खेलेने आओगे?”

“हाँ आऊँगा। पर एक बात तुम भी मेरी मानोगे?”

“क्या?” मैं इस वक्त उसकी हर बात मानने को तैयार था – दोस्ती के नाम पर।

“प्लीज स्कूल की काउंसलर मिसेज रिचर्डसन से मिललो और जो-जो बातें तुम्हें परेशान करती हैं, उन्हें बता दो। तुम्हें अच्छा लगेगा।”

अगले दिन ही मैं मिसेज रिचर्डसन से मिला। वह मुझे बहुत अच्छी लगीं। उन्होंने प्यार से मेरी बातें सुनीं। मुझे लगा कि जो बातें मैं दोनों मॉम से नहीं कह सकता वह बातें, अपने सभी डर, चिंताएँ, सरोकार मैं उनसे कह सकता हूँ।

मैंने उन्हें जॉन ओर उसके दोस्तों की कही बात बताई। क्या सचमुच मेरी मम्मियाँ पाप वाली जिंदगी जी रही हैं? क्या वे सचमुच नरक की यातना भोगेंगी? मेरी दोनों मॉम इतनी अच्छी और प्यारी हैं कि उन्हें कोई तकलीफ हो, इस ख्याल से ही मेरी आँखें डबडबा आईं।

मिसेज रिचर्डसन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुस्कराईं।

“वे सब लोग गलत मतलब निकालते हैं। अच्छा रॉबी, तुम बताओ, जीसस क्या कहते हैं?”

“सब से प्यार करो।” मैं धीमे से बुदबुदाया।

“तो जीसस सब से प्यार करता है।” उन्होंने “सबसे” शब्द पर जोर दिया।

मैं चुप।

“तो वह सबसे प्यार करता है चाहे वह कोई भी क्यों न हो। उनका प्यार कुछ खास लोगों के लिए नहीं है, अपने सब बच्चों के लिए है। अगर जॉन की मम्मी के लिए है तो तुम्हारी मम्मियों के लिए भी है।”

मुझे सुनकर अच्छा लगा। मैं मुस्करा दिया।

मैं उनके ऑफिस से बाहर निकला तो लगा जीसस की बात का असली मतलब तो मिसेज रिचर्डसन ही समझती हैं। अब मैं भी यही करूँगा। सबसे प्यार करूँगा, जॉन, स्कॉट, अनीश, टोनी और मैक्स सभी से।

दोनों मम्मियाँ एक रैली पर गई थीं। शायद कोई बहुत ही जरूरी बात होगी वरना वे हमें यूँ अकेला कम ही छोड़ती हैं। मैं और ज़ैरा बेबी सिटर के साथ घर पर थे – टेलीविजन देखते हुए।

मॉम लोग तो बस एक या दो प्रोग्राम ही देखने देती हैं पर आज बेबी-सिटर थी, टेलीविजन देखने की पूरी छूट भी।

समाचार चल रहे थे। बहुत से लोग नारे लगा रहे थे।

“समलैंगिकों को भी कानूनी विवाह की अनुमति मिलनी चाहिए।”

“हमारे साथ भेद-भाव बंद करो।”

“हमें भी वही अधिकार मिलने चाहिए जो किसी भी वैवाहिक जोड़े को मिलते हैं।”

भीड़ में मुझे मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी के जोश से भरे तमतमाते चेहरे दिखे।

फिर टेलीविजन पर एक आदमी दूसरी ही खबर बताने लगा।

“कैनसास सिटी में एक समलैंगिक लड़के को कुछ लोगों ने सता-सता कर जान से ही मार डाला।” फिर कुछ पुलिस के लोग दिखाई दिए, उस लड़के की रोती हुई माँ और उसके भौचक्के दोस्त।

मैंने ज़ैरा को अपने से सटा लिया।

“पता है, कुछ लोग समलैंगिकों को बहुत नफरत करते हैं। होमोफोबिक होते हैं ये लोग! अरे बाबा, जियो और जीने दो।” बेबी-सिटर अपनी कमेंट्री देती जा रही थी।

अगर किसी ने मेरी मम्मियों को भी…? मैं काँपता हुआ अपने बेडरूम में आ गया। आँखों तक कंबल खींच लिया। मेरी साँस बहुत तेज-तेज चल रही थी। मुझे लगा कि कुछ लोग मेरी मम्मियों को रस्सियों से बाँध रहे हैं। उन पर पत्थर फेंक रहे हैं। उन्हें गंदी-गंदी गालियाँ दे रहे हैं। मम्मियों के बदन से खून ही खून बह रहा है और उनकी गर्दनें एक ओर लुढ़क गई हैं।

मैंने घबरा कर आँखें खोल दीं। शायद मैं सपना देख रहा था। पसीने से तरबतर मेरे बदन में मेरा दिल इतने जोर से धड़क रहा था कि लगा अभी मेरे शरीर से बाहर आ जाएगा। मैंने मम्मी को आवाज देनी चाही पर लगा मेरी अपनी आवाज भी ऐसे मौके पर डर के मारे गूँगी हो गई थी।

मैं चुपचाप छत की ओर देखता रहा। फिर मन ही मन प्रार्थना करने लगा। धीरे से पर्दा उठाकर खिड़की के बाहर देखा। मॉम की गाड़ी ड्राइव-वे पर खड़ी थी। इसका मतलब मम्मियाँ घर में आ चुकी हैं।

मैं थोड़ा-सा शांत हो गया। मैक्स के डैडी कहते हैं कि दुनिया में बहुत से ऐसे पागल लोग भी रहते हैं जिन्हें पहचान पाना आसान नहीं होता। वे लोग अपने अलावा सब को गलत समझते हैं। दूसरों की गलती सुधारने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे गलती-सुधारक लोगों से मुझे दहशत होती है। अक्सर रात को मेरी नींद खुल जाती है। मैं किसी से कहता नहीं पर रात को सोने से पहले जाकर सभी दरवाजे देख लेता हूँ कि ठीक से बंद हैं न! पता नहीं क्यूँ रात को ही डर ज्यादा लगता है। शर्ली मम्मी से भी कह दिया है कि वह मेरे लिए दरवाजा खुला न रख छोड़ा करें पर उनको समझ ही नहीं आता।

आजकल तो दोनों मम्मियाँ लगता है किसी बड़े काम में व्यस्त हैं। फोन पर लोगों से बातें करती हैं तो एक ही शब्द बार-बार सुनाई देता है – “गे राइट्स”। आए दिन रैली में भाग लेने जाती हैं। शर्ली ममी तो पता नहीं क्या-क्या दस्तावेज तैयार करती रहती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि वे कोई बहुत बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रही हैं।

शर्ली मम्मी उस दिन किसी से फोन पर कह रही थीं यह लड़ाई हम सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दुनिया में रहने वाले सभी समलैंगिकों के लिए लड़ रहे हैं। इस आंदोलन की शुरुआत किसी ने तो करनी ही है। हम झंडा लेकर चलेंगे तो बाकी भी फॉलो करेंगे। हमारी रुचि और आकर्षण अलग हो सकते हैं पर गलत नहीं। सही बात के लिए हम पूरी ताकत से लड़ेंगे।”

मैं ये सब बातें ठीक से नहीं समझता। पर मम्मियाँ जो भी करेंगी, मैं उनका साथ दूँगा। यह मेरा भी अपने से वादा है।

उस दिन शर्ली मम्मी कोई फाँर्म भर रही थीं तो एकदम नाराज होकर पेन ही फेंक दिया।

“बारह साल हो गए हमे साथ रहते हुए और अभी तक “सिंगल” पर ही निशान लगा रहे हैं। फिर अलग-अलग, दुगुना इनकम-टैक्स भी भरना पड़ता है।”

मिशेल मॉम के चेहरे पर दुख और बेबसी का भाव था। मैं यह जान जाता हूँ पर समझ नहीं पाता कि मैं कैसे दोनों मम्मियों को खुश करूँ? मैंने मॉम जो के गले में बाँहे डाल दीं और गाल पर किस्सी दी। मॉम ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया। मुझे लगा कि मैं कम से कम यह तो कर ही सकता हूँ।

सुबह स्कूल जाने से पहले मैं आँखें मलता हुआ नीचे आया तो वहीं का वहीं ठिठक गया। किचन टेबल पर आज का अखबार बिखरा पड़ा था और दोनों मॉम एक-दूसरे के गले से लिपटकर खुशी से गोल-गोल घूमे जा रही थीं।

मुझे देखा तो शर्ली ममी ने दौड़कर मुझे भी गोदी में उठा लिया और झूम गईं।

“रॉबी! बिल पास हो गया।”

मैं अभी भी उन्हें हक्का-बक्का देख रहा था। पागल हो गई हैं क्या दोनों?

“अब न्यूयॉर्क में भी “गे-मैंरिज बिल” पास हो गया है। अब हम दोनों शादी कर सकेंगी।

मम्मियों को इतना ज्यादा खुश आज मैंने पहली बार देखा।

“कब होगी शादी?” मैं भी खुश था क्योंकि दोनों मॉम खुश थीं।

“जल्दी, बहुत जल्दी।” मिशेल मॉम बस अब और इंतजार नहीं करना चाहती थीं।

और हमारे घर में शादी की तैयारियाँ शुरू हो गईं। सबको निमंत्रण भेजे जा रहे थे। मेरे और ज़ैरा के नए कपड़े भी आ गए। मैक्स के डैड ने कहा कि वह शादी की रस्म के बाद मॉम और मम्मी को अपनी बड़ी वाली कार में घर ले आएँगे।

मम्मी और मॉम थोड़ी खुस-पुस करती रहती थीं। लगा कोई बात है जो इन्हें पूरी तरह खुश नहीं होने दे रही। मैं अपना होमवर्क कर रहा था तो मैंने सुना कि शर्ली ममी अपनी मासी से बात कर रही हैं।

“मेरी माँ को समझाओ। यह दिन मेरे लिए बहुत खास है। अगर वे इस शादी में नहीं आएगी तो….” और मम्मी सुबकने लगीं।

शादी वाले दिन मैंने अपना काला टक्सिडो पहना और ज़ैरा ने लेस वाला गुलाबी फ़्रॉक। मिशेल मॉम ने क्रीम रंग का पैंट-सूट और शर्ली मम्मी ने भी उसी रंग का स्कर्ट-सूट। मिशेल मॉम वाली नानी ने दोनों अँगूठियों के डिब्बे अपने पर्स में सँभाल कर रख लिए। सभी घर आने वाले मेहमान आ चुके थे और मम्मियों के दोस्तों ने हमें सिटी हॉल के बाहर ही मिलना था। मॉम के ऑफिस का कोई आदमी हमारी तस्वीरें ले रहा था कि इतने में दरवाजे की घंटी बजी।

मेहमान को देखकर शर्ली मम्मी की खुशी से चीख निकल गई। वह दौड़कर उस बुजुर्ग महिला से लिपट गईं। वह रोती जा रही थीं और बोलती जा रही थीं – “थैंक यू मॉम, थैंक यू। थैंक यू सो मच।”

मैं समझ गया जरूर दूसरी वाली नानी होंगी।

रजिस्ट्रार के दफ्तर में मॉम और मम्मी ने दस्तखत किए। नानी ने मुझे और ज़ैरा को एक-एक अँगूठी पकड़ा दी और हमें मम्मियों को दे देने का इशारा किया। मिशेल और शर्ली मम्मी ने एक दूसरे की उँगली में अँगूठी पहनाई तो वहाँ खड़े सभी लोगों ने तालियाँ बजानी शुरु कर दीं। मॉम और मम्मी ने सबके सामने एक-दूसरे को किस्स किया तो मॉम की मम्मी ने उन पर फूल फेंके।

मैक्स के डैड अपनी कार बिल्कुल दरवाजे तक ले आए। उस पर दो बड़े-बड़े बैलून बँधे थे और पीछे के शीशे पर सफेद रंग से लिखा था – ” न्‍यूली मैरिड “

मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पीछे की सीट पर बैठ गईं। उनके पीछे की कार में मिशेल मॉम वाले नाना ड्राइवर सीट पर और नानी उनके बगल में बैठे। ज़ैरा को बच्चों वाली सीट पर पेटी से बाँधने के बाद दूसरी वाली नानी मेरे साथ पिछली सीट पर बैठ गईं।

“तुमने आखिरी वक्त पर आने का इरादा कैसे बना लिया?” बड़ी नानी ने पूछा तो दूसरी नानी खो सी गईं।

“क्योंकि… क्योंकि मेरी बहन ने कहा कि जैसे तुम अपने दिवंगत पति से अभी तक इतना प्रेम करती हो, शर्ली भी वैसे ही मिशेल से प्यार करती है। अपने प्रेजुडिसेज (पूर्वाग्रहों) की वजह से उसे किसी भी तरह से कमतर न आँको। सोचती रही, बस फिर लगा कि शर्ली की खुशी के लिए मुझे आना चाहिए। आ गई।”

अचानक हम सबका ध्यान बँटा। बड़ी नानी के मुँह से तो हल्की-सी चीख ही निकल गई। एकदम हमारे आगे खड़ी नव-विवाहित जोड़े वाली कार के ऊपर एक आदमी कुछ फेंक कर तेजी से भाग गया। हम सब सकते में आ गए – कहीं बम तो नहीं? मुझे लगा कि मेरी साँस रुक रही है।

कार के पिछले शीशे पर लिखा “न्यूली मैरिड ” शब्द, अंडे की जर्दी और सफेदी के नीचे दब गया था।

Download PDF (कतार से कटा घर)

कतार से कटा घर – Katar Se Kata Ghar

Download PDF: Katar Se Kata Ghar in Hindi PDF

Leave a comment

Leave a Reply