फेसबुक | हरे प्रकाश उपाध्याय
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दोस्त चार हजार नौ सौ सतासी थे
पर अकेलापन भी कम न था
वहीं खड़ा था साथ में
दोस्त दूर थे
शायद बहुत दूर थे
ऐसा कि रोने-हँसने पर
अकेलापन ही पूछता था क्या हुआ
दोस्त दूर से हलो, हाय करते थे
बस स्माइली भेजते थे…

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