सोचो एक दिन | हरे प्रकाश उपाध्याय सोचो एक दिन | हरे प्रकाश उपाध्याय भाइयो, उस आकाश के बारे में सोचोजो तुम्हारे ऊपर टिका हुआ हैइस धरती के बारे में सोचोजो तुम्हारे पाँवों तले थर-थर काँप रही हैभाइयो, इस हवा के बारे में सोचोजो तुम्हारे घूँघट खोल रही हैकुछ ऐसे सोचोकुछ वैसे सोचोमाथा दुखने के […]
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दिन होगा | हरे प्रकाश उपाध्याय
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