डूबती हुई नाव | नरेश अग्रवाल
डूबती हुई नाव | नरेश अग्रवाल

डूबती हुई नाव | नरेश अग्रवाल

डूबती हुई नाव | नरेश अग्रवाल

नाव चोट खा गई है 
लगता है, डूब जाएगी 
पानी धीरे-धीरे प्रवेश कर रहा है 
दर्द से हिलती है नाव 
पानी खून का प्यासा हो गया है 
डर से सबके शरीर पत्थर 
अब कुछ नहीं हो सकता है 
एक ही सत्य है मौत 
और मौत बढ़ रही है 
बिना किसी शस्त्र के 
कितनी आसानी से 
छीन रही है प्राण 
पानी भर रहा है 
साँस की जगह 
और दया दिखाई नहीं देती है 
दूर-दूर तक।

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