मिलने से घटती हैं दूरियाँ
आने-जाने से बढ़ता है प्यार
शरमाने से बचती हैं भावनाएँ
चलने से बनती है राह
जूझना सीखो बेटा! जूझना
जूझने से खत्म होती हैं रुकावटें
कभी-कभी मेरा माथा सहलाते हुए
धीरे से कहती थीं नानी।
मिलने से घटती हैं दूरियाँ
आने-जाने से बढ़ता है प्यार
शरमाने से बचती हैं भावनाएँ
चलने से बनती है राह
जूझना सीखो बेटा! जूझना
जूझने से खत्म होती हैं रुकावटें
कभी-कभी मेरा माथा सहलाते हुए
धीरे से कहती थीं नानी।