नव वसंत खिला जब भाग्य सा,भुवन में तब जीवन आ गया,गगन ने उस को अपनाव से,अतुल गौरव से, अपना किया। Like this:Like Loading... See also कैंची | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता