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हाथों के दिन आएँगे | त्रिलोचन 2 | हिंदी कविता

हाथों के दिन आएँगे। कब आएँगे,यह तो कोई नहीं बताता। करने वालेजहाँ कहीं भी देखा अब तक डरने वालेमिलते हैं। सुख की रोटी कब खाएँगे,सुख से कब सोएँगे, उस को कब पाएँगे,जिसको पाने की इच्छा है, हरने वाले,हर हर कर अपना-अपना घर भरने वाले,कहाँ नहीं हैं। हाथ कहाँ से क्या लाएँगे। हाथ कहाँ हैं, वंचक […]