गति | विश्वनाथ-प्रसाद-तिवारी गति | विश्वनाथ-प्रसाद-तिवारी बर्फ गिर रही हैपेड़ खड़े हैं श्वेत ठिठुरे हुए एक नुकीला मैदान है नीचेऔर ऊपर एक पहाड़ी बर्फ ढकीबीच में एक आदमी हैचढ़ता हुआ बढ़ता हुआ चोटी की ओर कितना भयावह लगता हैजब एक आदमी चलता हैचलता है खामोश घाटी के बीचऔर बर्फ गिर रही होती है चारों ओर।
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न्याय | विश्वनाथ-प्रसाद-तिवारी
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