मेरे मन का शतरंजचौसठ खानों के बीचउलझा हुआहाँ और ना मेंकभी अमावस्या मेंपूर्णिमा का अहसास तो कभी पूर्णिमा मेंअमावस्या का अहसास।तरंगों के प्यादे आगे बढ़ाने मेंकभी समान तरंगों के प्यादे सेअहं के ऊँट को निगलते हुएहाथी की चाल से मात देते हुएमन के घोड़े को दौड़ाती चली गई कि अपने प्रेम के वजीर से जीत […]
Tag: Vinita Parmar
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फिर हो जाएँगी जल
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दर्द के साथ वसंत
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