मेरे फेफड़े पर
जम गई है काई,
फिसल रहा है खून
जब साँस लेती हूँ तब
साँसों में आ जाते हैं
कटे पेड़ों की आत्मा,
जब छोड़ती हूँ
तो जलने लगती है धरती
पिघलती है बर्फ,
पहले सूर्य की किरणें
धरा को छू के लौट जाती थी
वैश्वीकरण की कुल्हाड़ी पर
अब किरणें सोख लेती है धरती,
सूर्य और धरती के
रिश्तों की गर्माहट
वार्मिंग से अब वार्निंग हो गई।