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सन्नाटे का संगीत

अकेली औरतनींद को पुचकारती हैदुलारती हैपास बुलाती हैपर नींद है कि रूठे बच्चे की तरहउसे मुँह बिराती हुईउससे दूर भागती है अपने को फुसलाती हैसन्नाटे को निहोरती हैदेख तो –कितना खुशनुमा सन्नाटा हैकम से कमखर्राटों की आवाज से तो बेहतर है लेकिन नहीं…जब खर्राटे थेतो चुप्पी की चाहत थीअब सन्नाटा कानों कोखर्राटों से ज्यादा खलता […]