सागर मुझे अपने सीने पर बिठाए रखता हैअपनी लहरों के फन पर उसने खुद ही उठा लिया था मुझेतट पर अकेला पाकरमैं ढूँढ़ रहा था शब्दउसकी गहराई के लिएबार-बार चट्टानों से टकराकरफेन सी पसरती उसकीलहरों के लिएजीवन के प्रति उसकीअनंत आत्मीयता के लिए मैं लौटना नहीं चाहता थाफिर अपने शहर मेंलहरें बढ़ती तो छोड़ देताखुद […]
Tag: Subhash Rai
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मुझमें तुम रचो
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मैं नदी हूँ
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बच्चे आएँगे
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