सदियों से सूने अधरों पर एक मंद मुस्कान, बहुत है! जीवन की इस निविड़-निशा में, जाने कितने पल आते हैं,मूक व्यथा के बादल आँसू बन, आँखों से ढल जाते हैं।ऐसे पल अंतस से उपजा हुआ एक ही गान, बहुत है। पीड़ाओं का साम्राज्य जब नभ-सा विस्तृत हो जाता है,मर्माहत मन गहन व्यथा के शोक-सिंधु में […]
Shambhunath Tiwari
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माँ की याद
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मुन्ने के बाबूजी
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