दिल्ली की रातें

दिल्ली की रातें

दिल्ली की रातेंरात नहींदिन भी नहीं हो सकतीं दिल्ली की रातेंभोर जैसा इन रातों में कुछ भी नहींइन रातों का अँधेरायमुना पार खड़ा हैबरसों से एक नाव के इंतजार मेंऔर नदी काली होती जाती है ऐसी ही एक रात के दायरे मेंकोठारी हॉस्टल के गेट परइंतजार में खड़ा है दिल्ली का पहला दोस्तकुँवर नारायण की … Read more

नए शहर में

नए शहर में

उस मौसम की यादभूलने के बादबची है जो खाली जगहसोचता हूँहैदराबाद के पहाड़ काएक फटा हुआकाला पत्थरजो पहले लाल थारख लूँ उसी जगहऔर डुबो दूँलाल, काले और सफेदपानी मेंताकि यह कोई न कह सकेकि पहाड़ मर चुका है।

प्रेम नहीं, प्रेम

प्रेम नहीं, प्रेम 1

प्रेम सिर्फ प्रेम नहीं होताउसकी होती है एकहरी-भरी फसल फसल सिर्फ फसल नहीं होतीउसमें होती हैं किसान की आँखें आँखें…आँखों में पानी होता हैजिसे सूरज गर्म करता हैहवा उड़ाती हैपानी न होने पर धरती बंजर हो जाती है लेकिनबंजर सिर्फ बंजर नहीं होतामेरी दोस्त !

ऐसी भी क्या जल्दी थी…

ऐसी भी क्या जल्दी थी...

मन रुकता है तोठिठुर सा जाता हैठंड से नहींभय से नहींभूख से नहींसोचता हूँ ऐसी भी क्या जल्दी थी… सुंदर तुम थीं या तुम्हारे सपनेअधखुली पलकों में घनेरी रात का काजरसुबह की उजली भोरकौन जानता था इन दोनों के बीचएकदम से संधि की कोमलता कोजला देगा निर्मोही…चलो सूरज से ही पूछ लेता हूँक्या महसूस किया … Read more

एक अनछुई जिंदगी

एक अनछुई जिंदगी

यूँ ही किसी की जिंदगी मेंएक नेह भरा निमंत्रणऔर बड़ी दूर से देखना…हँसती हुई निगाहें पास बुलाती हैंजाने के लिए एक कदम भी नहीं उठतालेकिन कदमों की आहट जिलाए रखती हैकहने को तो मैं कुछ भी नहीं कह पातामेरा न कुछ कह पाना, कुछ तो कह ही देता होगाफिर भी जिंदगी दाँव पर लगा कर … Read more