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दिल्ली की रातें

दिल्ली की रातेंरात नहींदिन भी नहीं हो सकतीं दिल्ली की रातेंभोर जैसा इन रातों में कुछ भी नहींइन रातों का अँधेरायमुना पार खड़ा हैबरसों से एक नाव के इंतजार मेंऔर नदी काली होती जाती है ऐसी ही एक रात के दायरे मेंकोठारी हॉस्टल के गेट परइंतजार में खड़ा है दिल्ली का पहला दोस्तकुँवर नारायण की […]