हमजाद | रविकांत

हमजाद | रविकांत

हमजाद | रविकांत हमजाद | रविकांत (मनोहर श्याम जोशी के लिए) देह के रोमछिद्रों से भी अधिक द्वार हैंजीवन के अभी-अभीकिसने यह कही बहुत पुरानी सीहमजादों की लड़ाई मेंकोई एक जीतता हैजरूर हम कभीअपने हमजाद के दोस्त नहीं होतेअपनी युवा इंद्रियों के साथखड़ा हूँजीवन के दरवाजों पर कोईमेरी सहजताओं का दुश्मन हैखींच लेता है मुझेइसकी देहरियों के भीतर से … Read more

हत्या | रविकांत

हत्या | रविकांत

हत्या | रविकांत हत्या | रविकांत आप आप आपआप सबजिन्हें मैं समझता हूँ कुछसिर्फ इतना बताएँ कृपाकरमैंऐसा क्या करूँकि अपने को आत्महत्यारों की हत्या मेंशरीक न समझूँ कम से कमआप सब को तोबिल्कुलही नहीं

सर्जना | रविकांत

सर्जना | रविकांत

सर्जना | रविकांत सर्जना | रविकांत वह मैं नहींमेरी कृति भी नहीं हैजुड़ा हूँ उससे अदृश्य नाभिसूत्रपछाड़ती, सुखाती हैबार-बारअपने जैसा देखती हैपुकारती है मुझेपुच्कारती है निर्मल हैमारक है उस चिर-कन्यका की पुकारनित ही आहत होने को विवशमैं कहीं भाग सकता हूँ?! मुरझाई हुए भक्ति का अकूत शब्द-भंडार हैउसके पास,किसी पग-रेखा की धूल-सी शांत वहअपनी नदी … Read more

सुबह | रविकांत

सुबह | रविकांत

सुबह | रविकांत सुबह | रविकांत पुरानी पृथ्वी अब नहीं है नर्म हवादेह के पोरों में समा रही हैयह जेठ के पहले पानी के बाद कीठंडी सुबह है मैं बहुत हल्का-फुल्का-सा हुआछत पर खड़ा हूँ मुँडेर से ताकतायह चकर-मकर कौआमुझसे पहले जाग गया है बारिश सेधुली गलियाँभीगी घासनहाए हुए हैं मकान, औरलोग भी लग रहे … Read more

सबेरे-सबेरे और अखबार | रविकांत

सबेरे-सबेरे और अखबार | रविकांत

सबेरे-सबेरे और अखबार | रविकांत सबेरे-सबेरे और अखबार | रविकांत यह जनवरी का अंतिम दिन हैबाहर आज कुछ कम कोहरा हैसुबह के आठ बज गए है मैं बिस्तर से सो कर उठा हूँदिमाग थक गया है(अवचेतना की न जाने किसगंभीर बहस में फँस कर) मुँह धो कर, बैठता हूँ, पस्त, कुर्सी परसामने रख दी जाती … Read more

सदी के अंत में | रविकांत

सदी के अंत में | रविकांत

सदी के अंत में | रविकांत सदी के अंत में | रविकांत सदी जिन दुःस्वप्नों से उबर आई हैगर्व कर सकता था मैं सबसे पहलेउन्हीं परलिखना चाहता था मैं अपना सब कुछसदी के नाम यदि उतर चुका हो हमारी याददाश्त सेसती का आखरी चेहरा तोभुला दिया जाय तत्कालइस प्रक्रिया को यदि न रह गई हो … Read more

संकल्प-क्षण | रविकांत

संकल्प-क्षण | रविकांत

संकल्प-क्षण | रविकांत संकल्प-क्षण | रविकांत यह एक सशक्त और वीर क्षण है बुझ जाएचाहे हो अगला ही क्षणआत्म-छल से भरा अमोल है परसंकल्प से तनानाना सुविधाओं विराट दुर्बलताओं के बौनेपन कोअपने प्रकाश में उद्घाटित करएक सर्वव्यापी सत्य कोहस्तगत करातायह क्षण चेतना के वांछित लोक की जमीन कीसघन उदात्त्ता कोप्रत्यक्ष करअपने अपूर्व उत्साह सेसमस्त जैसे-भी … Read more

शायद सात साल की बच्ची | रविकांत

शायद सात साल की बच्ची | रविकांत

शायद सात साल की बच्ची | रविकांत शायद सात साल की बच्ची | रविकांत हमें भी तो होगा वह दर्दवह टीस उठेगी हीनहीं उठती है (?) जोउस मोहक बच्ची के पिता मेंमाँ की जो मजबूरी हैउसे समझेगा कौन देशयामैं-आप? गुलाबी मशरूम-सा वह चेहराचूम लेना चाहा जिसेमन झिझकावह सुंदर है, भोली है ऐसीघर में, परिचितों मेंबमुश्किल … Read more

विद्योत्तमा | रविकांत

विद्योत्तमा | रविकांत

विद्योत्तमा | रविकांत विद्योत्तमा | रविकांत एक-एक करतुम मेरी सब चीजें लौटाने लगीमुझे लगा कि हमारा प्रेम टूट रहा हैजबकि, कभी नहीं किया था हमने प्रेम मैं करना चाहता था प्रेम, पूरी शिद्दत सेपर नहीं मिली तुमतुम दिखी ही नहीं फिर कभी मैं दौड़ आना चाहता था तुम्हारी ओरलिपट जाना चाहता था तुमसेअपने ताने-बाने मेंमैं … Read more

विकृति | रविकांत

विकृति | रविकांत

विकृति | रविकांत विकृति | रविकांत गहरे हरे रंग की चाह मेंखेतों की जगहबनाता हूँघास के मैदान सौंदर्य को हर कहींनमूने की तरह देखता हुआकिसी विकट सुंदरता की आस में भटकता हूँ हर पर्दे में झाँक कर देखता हूँछुप कर डायरियों को पढ़ता हूँ जरूरकिसी भव्य रहस्य की प्यास मेंचीरता हूँ छिलके, मांस, गुठलियाँ और … Read more