हमजाद | रविकांत
हमजाद | रविकांत हमजाद | रविकांत (मनोहर श्याम जोशी के लिए) देह के रोमछिद्रों से भी अधिक द्वार हैंजीवन के अभी-अभीकिसने यह कही बहुत पुरानी सीहमजादों की लड़ाई मेंकोई एक जीतता हैजरूर हम कभीअपने हमजाद के दोस्त नहीं होतेअपनी युवा इंद्रियों के साथखड़ा हूँजीवन के दरवाजों पर कोईमेरी सहजताओं का दुश्मन हैखींच लेता है मुझेइसकी देहरियों के भीतर से … Read more