समय से मुक्ति | रति सक्सेना समय से मुक्ति | रति सक्सेना मुझे एक समय सारिणी दोजिसमें मेरा अपना समय ही ना होफिर मुझे ऐसी समय सारिणी दोजिसमें केवल मेरा अपना समय हो मैं दोनो समय सारिणियों कोआमरस की तरह घोंट कर पी जाऊँगी फिर समय मेरे भीतर होगाऔर मैं मुक्त समय से
Rati Saxena
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सपनों की भटकन | रति सक्सेना
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मौसम बनते जाना | रति सक्सेना
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माइग्रेन | रति सक्सेना
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मेरी चदरिया | रति सक्सेना
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मदाम आइ लव यू… | रति सक्सेना
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बचा लेती थी, माँ | रति सक्सेना
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पिता | रति सक्सेना
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प्रेम कविता | रति सक्सेना
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