हरियाली मत हरो | राधेश्याम बंधु

हरियाली मत हरो | राधेश्याम बंधु

हरियाली मत हरो | राधेश्याम बंधु हरियाली मत हरो | राधेश्याम बंधु हरियाली मत हरोगंध की  कविता रुक जाएगीफूलों के सुरभितआँचल  की  ममता  चुक जाएगी । नीम तले की कथा कहानीबाबा को  कहने  दो,अमरार्इ  झूले  की  कजरीबहना  को  गाने  दो । हरसिंगार  का प्यार  न  छीनो,बगिया  लुट जाएगी । भैया  से  वृक्षों   की   बाँहें,किसने काट … Read more

रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु

रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु

रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु नैन फागुनीरूप चंदनी तन सबने देखा,पर मीरा कीकविता वाला मन किसने देखा ? कानों में चंदा का कुंडलपहन चाँदनी साड़ी,तारों वाली ओढ़ ओढ़नीफिरती महल-अटारी । केश जामुनी अधर गुलाबीतन  सबने  देखा,पर मीरा काममता वाला मन किसने देखा ? संबंधों  की  मौलश्री  नितअगवानी  करती,यौवन की निशिगंधा … Read more

जब बसंत भी गंध न दे | राधेश्याम बंधु

जब बसंत भी गंध न दे | राधेश्याम बंधु

जब बसंत भी गंध न दे | राधेश्याम बंधु जब बसंत भी गंध न दे | राधेश्याम बंधु जब बसंत भी गंध न दे तोकिससे  मन  की  बात  कहें ? बेला, जुही, गुलाब, मोंगरा,सबके अपने रंग अलग हैं,बाजारों    की   तितलीपंखीमुस्कानों के ढंग अलग हैं ।  टेसू के बदले अब कैसेनागफनी  के  साथ  रहें ? अब   … Read more

आ गए फिर लो मछेरे | राधेश्याम बंधु

आ गए फिर लो मछेरे | राधेश्याम बंधु

आ गए फिर लो मछेरे | राधेश्याम बंधु आ गए फिर लो मछेरे | राधेश्याम बंधु आ गए फिरलो मछेरे, शब्द का ले जालकौन पूछे,थकी-प्यासी, मछलियों का हाल ? इस सदी की नदी में भीअब नहीं पानी,चीख  वाले  मौसमीनाले भी बेमानी ।दाँव दलदल में  फँसी,हर  जिंदगी  बेहाल । श्वेत बगुलों का लगा  हैझील पर पहरा,कहाँ  … Read more

अभी परिंदों में धड़कन है | राधेश्याम बंधु

अभी परिंदों में धड़कन है | राधेश्याम बंधु

अभी परिंदों में धड़कन है | राधेश्याम बंधु अभी परिंदों में धड़कन है | राधेश्याम बंधु अभी परिंदों मेंधड़कन है,पेड़ हरे हैं जिंदा धरती,मत उदास होछाले लखकर, ओ राहीनदियाँ कब थकतीं ? चाँद  भले ही बहुत  दूर होपथ में नित चाँदनी बिछाता,हर गतिमान चरण की खातिरबादल खुद छाया बन जाता,चाहे थके पर्वतारोही,दिन की धूप नहीं … Read more