रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु
रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु

रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु

रूप चंदनी | राधेश्याम बंधु

नैन फागुनी
रूप चंदनी तन सबने देखा,
पर मीरा की
कविता वाला मन किसने देखा ?

कानों में चंदा का कुंडल
पहन चाँदनी साड़ी,
तारों वाली ओढ़ ओढ़नी
फिरती महल-अटारी ।

केश जामुनी अधर गुलाबी
तन  सबने  देखा,
पर मीरा का
ममता वाला मन किसने देखा ?

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संबंधों  की  मौलश्री  नित
अगवानी  करती,
यौवन की निशिगंधा निशिदिन
प्रेमपत्र  लिखती ।

हँसी  सेंदुर प्रीत बावरी
तन  सबने  देखा
पर  मीरा  का
रमता  वाला मन किसने देखा ?

जब भी महुआ तन से गंधों
के  झरने  झरते,
सपनों के टेसू  वन मिलनों
के  उत्सव  रचते ।

वैन बाँसुरी
पाँव पांखुरी तन सबने देखा
पर मीरा का
समता वाला मन किसने देखा ?

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