सपनों की साँकल | मधु प्रसाद
सपनों की साँकल | मधु प्रसाद सपनों की साँकल | मधु प्रसाद बहुत दिनों से मेरीबाँईं आँख फड़कती है। अम्मा की चिट्ठी आएगीऐसा लगता हैसावन में भइया के घर मेंझूला पड़ता हैयादों में सपनों की साँकलरोज खड़कती हैं। भाभी भी ननदी को अबकीबार बुलाएँगीस्वागत में वह दूध दही कीनदी बहाएँगीउनके अंदर कोई भूलीयाद तड़पती है। … Read more