सपनों की साँकल | मधु प्रसाद

सपनों की साँकल | मधु प्रसाद

सपनों की साँकल | मधु प्रसाद सपनों की साँकल | मधु प्रसाद बहुत दिनों से मेरीबाँईं आँख फड़कती है। अम्मा की चिट्ठी आएगीऐसा लगता हैसावन में भइया के घर मेंझूला पड़ता हैयादों में सपनों की साँकलरोज खड़कती हैं। भाभी भी ननदी को अबकीबार बुलाएँगीस्वागत में वह दूध दही कीनदी बहाएँगीउनके अंदर कोई भूलीयाद तड़पती है। … Read more

मौसम कब बदला | मधु प्रसाद

मौसम कब बदला | मधु प्रसाद

मौसम कब बदला | मधु प्रसाद मौसम कब बदला | मधु प्रसाद रूप बदल कर मुझको मेरेमन ने बहुत छलाठगी रह गई समझ न पाईमौसम कब बदला। कभी कहा यह जग मिथ्या हैमाटी का टीलाकभी कहा यह अति सुंदर हैमोहन की लीला|खोजबीन में पड़ी रही मैंजीवन बीत चला। कितने-कितने मौसम आएकितने बीत गएलेखा-जोखा कौन किसे … Read more

ऋतुएँ रहीं मचल | मधु प्रसाद

ऋतुएँ रहीं मचल | मधु प्रसाद

ऋतुएँ रहीं मचल | मधु प्रसाद ऋतुएँ रहीं मचल | मधु प्रसाद बदलेंगे दिन बदलेंगेआज नहीं तो कलफिर घर वापस लौटेंगेविदा हुए जो पल। धूप हँसेगी आँगन मेंतुलसी से बतियाएगीमौसम भी चुगली करतेलो फिर पकड़ी जाएगी अंबुआ की डाली पकड़ेकोयल रही सँभल। ढोल, मँजीरे बाजेंगेऔ, मेहँदी घर आएगीहल्दी की छापों से फिरदीवारें शरमाएँगी कजरी, चैती … Read more

उड़ते सपने फरफर | मधु प्रसाद

उड़ते सपने फरफर | मधु प्रसाद

उड़ते सपने फरफर | मधु प्रसाद उड़ते सपने फरफर | मधु प्रसाद अनजाने ही आँसू बहतेइन आँखों से झरझर। रूप निरखती रही चाँदनीटूटे से दरपन मेंसोच रही है कंपन होताक्यों सागर के मन मेंअधरों पर ठहरे शब्दों कीदेह काँपती थरथर। गरम रेत हो गए गलीचेजिन पर ओस बिछी थीचंदा के माथे पर गहरीचिंतन रेख खिंची … Read more