हंटर बरसाते दिन मई और जून के | जयकृष्ण राय तुषार

हंटर बरसाते दिन मई और जून के | जयकृष्ण राय तुषार

हंटर बरसाते दिन मई और जून के | जयकृष्ण राय तुषार हंटर बरसाते दिन मई और जून के | जयकृष्ण राय तुषार हंटर बरसाते दिनमई और जून केखुजलाती पीठों परकब्जे नाखून के। जेठ की दुपहरी मेंसोचते आषाढ़ कीसूखे की चिंता मेंकभी रहे बाढ़ की,किससे हम दर्द कहेंहाकिम ये दून के। हाँफ रही गौरयाचोंच नहीं दाना … Read more

शायद मुझसे ही मिलना था | जयकृष्ण राय तुषार

शायद मुझसे ही मिलना था | जयकृष्ण राय तुषार

शायद मुझसे ही मिलना था | जयकृष्ण राय तुषार शायद मुझसे ही मिलना था | जयकृष्ण राय तुषार बहुत दिनों से गायब कोई पंछीताल नहाने आयाचोंच लड़ाकर गीत सुनाकरफिर-फिर हमें रिझाने आया। बरसों सेसूखी टहनी परफूल खिले, लौटी हरियालीये उदास सुबहें फिर खनकीलगी पहनने झुमके बाली,शायद मुझसे ही मिलना थालेकिन किसी बहाने आया। धूल फाँकतीखुली … Read more

शहरों के नाम पट्ट बदले | जयकृष्ण राय तुषार

शहरों के नाम पट्ट बदले | जयकृष्ण राय तुषार

शहरों के नाम पट्ट बदले | जयकृष्ण राय तुषार शहरों के नाम पट्ट बदले | जयकृष्ण राय तुषार चाल-चलनजैसे थे वैसेशहरों के नाम पटट् बदलेभेदभाव बाँट रही सुबहेंकोशिश हो सूर्य नया निकले। दम घोंटू शासन हैजनता के हिस्सेविज्ञापनजीवीअखबारों के किस्सेहैं कोयला खदानों केसब दावे उजले। मीरा के होठों परजहर भरी प्यालीहै औरत के हिस्से काआसमान … Read more

यह मिट्टी हिंदुस्तान की | जयकृष्ण राय तुषार

यह मिट्टी हिंदुस्तान की | जयकृष्ण राय तुषार

यह मिट्टी हिंदुस्तान की | जयकृष्ण राय तुषार यह मिट्टी हिंदुस्तान की | जयकृष्ण राय तुषार इस मिट्टी का क्या कहनायह मिट्टी हिंदुस्तान की।यह गुरुनानक, तुलसी की हैयह दादू, रसखान की। इसमें पर्वतराज हिमालय,कल-कल झरने बहते हैं,इसमें सूफ़ी, दरवेशों केकितने कुनबे रहते हैं,इसकी सुबहें और संध्याएँहैं गीता, कुरआन की। यहाँ कमल के फूल औरकेसर खुशबू … Read more

यह तो वही शहर है | जयकृष्ण राय तुषार

यह तो वही शहर है | जयकृष्ण राय तुषार

यह तो वही शहर है | जयकृष्ण राय तुषार यह तो वही शहर है | जयकृष्ण राय तुषार शहर केएकांत मेंहमको सभी छलतेढूँढ़ने से भी यहाँपरिचित नहीं मिलते। बाँसुरी केस्वर कहींवन प्रांत में खोए,माँ तुम्हीं को याद करहम देर तक रोए,धूप में हम बर्फ केमानिंद हैं गलते। रेलगाड़ीशोरगुलसिगरेट के धुएँप्यास अपनी ओढ़करबैठे सभी कुएँयहाँ टहनी … Read more

मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार

मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार

मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार आरती मेंऔर होंगेथाल में उनको सजाओमैं दिया पगडंडियों कामुझे पथ में ही जलाओ। सिर्फ दीवाली नहीं मैंमुश्किलों में भी जला हूँरोशनी को बाँटने मेंमोम बनकर भी गला हूँ,तम न जीतेगा हँसोफिर रोशनी के गीत गाओ। लौ हमारी खेत में,खलिहान … Read more

नए साल में | जयकृष्ण राय तुषार

नए साल में | जयकृष्ण राय तुषार

नए साल में | जयकृष्ण राय तुषार नए साल में | जयकृष्ण राय तुषार नई सुबह लेओ मेरे दिनमान निकलना।अगर राह मेंमिले बनारसखाकर मगही पान निकलना। संगम परआने से पहलेमेलजोल की धारा पढ़ना।अनगढ़ पत्थरछेनी लेकरअकबर, पंत, निराला गढ़ना,हर महफिल मेंमधुशाला कीलिए सुरीली तान निकलना। सबकी किस्मतरहे दही-गुड़नहीं किसी की खोटी लाना,बस्ती-गाँवशहर के सारेमजलूमों को रोटी … Read more

चाँदनी थी तुम | जयकृष्ण राय तुषार

चाँदनी थी तुम | जयकृष्ण राय तुषार

चाँदनी थी तुम | जयकृष्ण राय तुषार चाँदनी थी तुम | जयकृष्ण राय तुषार चाँदनी थीतुम! धुआँ सीहो गई तस्वीर।मन तुम्हारापढ़ न पाएअसद ग़ालिब, मीर। घोंसला तुमनेबनायामैं परिंदों सा उड़ा,वक्त कीपगडंडियों परजब जहाँ चाहा मुड़ाऔर तेरेपाँव मेंहर पल रही जंजीर। खनखनातेबर्तनों मेंलोरियों में गुम रहीघन अँधेरे मेंदिए की लौसरीखी तुम रही,आँधियाँजब भी चलींतुम हो गई … Read more

किस तरह है पेड़ पर | जयकृष्ण राय तुषार

किस तरह है पेड़ पर | जयकृष्ण राय तुषार

किस तरह है पेड़ पर | जयकृष्ण राय तुषार किस तरह है पेड़ पर | जयकृष्ण राय तुषार चोंच मेंदाना नहीं हैपंख चिड़िया नोचती हैभागतेखरगोश-सी पीढ़ीकहाँ कुछ सोचती है। उगलती हैझाग मुँह सेगाय सूखी मेंड़ पर,एक पत्ताहरा जानेकिस तरह है पेड़ पर,डूबते हीसूर्य के माँदिया-बाती खोजती है। पेड़ कीशाखों पेबंजारे अभी भी झूलते हैं,सास अब … Read more

ओ सदानीरा ! | जयकृष्ण राय तुषार

ओ सदानीरा ! | जयकृष्ण राय तुषार

ओ सदानीरा ! | जयकृष्ण राय तुषार ओ सदानीरा ! | जयकृष्ण राय तुषार पर्वतों कीघाटियों सेजब इलाहाबाद आना।ओ सदानीरा!निराला केसुनहरे गीत गाना। आज भी‘वह तोड़ती पत्थर ‘पसीने में नहाए,सर्वहाराके लिए अबकौन ऐसा गीत गाए,एक फक्कड़कवि हुआ थापीढ़ियों को तुम बताना। ‘राम की थीशक्ति पूजा’पर निराला गा रहे हैं,उस कथानकमें निरालाराम बनकर आ रहे है,अर्चना … Read more