मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार
मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार

मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार

मैं दिया पगडंडियों का | जयकृष्ण राय तुषार

आरती में
और होंगे
थाल में उनको सजाओ
मैं दिया पगडंडियों का
मुझे पथ में ही जलाओ।

सिर्फ दीवाली नहीं मैं
मुश्किलों में भी जला हूँ
रोशनी को बाँटने में
मोम बनकर भी गला हूँ,
तम न जीतेगा हँसो
फिर रोशनी के गीत गाओ।

लौ हमारी खेत में,
खलिहान में फैली हुई है
यह हवाओं में
नहीं बुझती नहीं मैली हुई है,
धुआँ भी
मेरा, नयन की
ज्योति है काजल बनाओ।

गहन तम में भी जगा हूँ
नींद में सोया नहीं हूँ
मैं गगन के चंद्रमा की
दीप्ति में खोया नहीं हूँ,
देखकर
रुकना न मुझको
मंजिलों के पास जाओ।

राह में चलते बटोही की
उम्मीदें, हौंसला हूँ,
दीप का उत्सव जहाँ हो
रोशनी का काफिला हूँ,
ओ सुहागन !
मुझे आँचल में
छिपाकर मत रिझाओ।

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