एक कविता बेटी शीरीं के नाम | फ़िरोज़ ख़ान एक कविता बेटी शीरीं के नाम | फ़िरोज़ ख़ान (1.) मेरी आँखों का अधूरा ख्वाब हो तुमआधी नींद का टूटा हुआ-सा ख्वाब मेरे लिए तो तुम वैसे ही आईजैसे मजलूमों की दुआएँ सुनकरसदियों के बाद आएपैगंबरया कि मथुरा की उस जेल मेंएक बेबस माँ की कोखमें […]
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…और ईश्वर मर जाएगा | फ़िरोज़ ख़ान
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