साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव

साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव

साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव साँझ का आकाशगेरू के रंग का उड़े सारसहिलीं फुनगियाँधवल काँस-फूलों पर गिर गया गुलालनाव के पाल-सासाँझ का आकाशजोर-जोरहिलता हुआ हवा में दिया बाती के बेरमजूर के पंख-साधरती की थकी हुई देह पर फैला हुआ दुःस्वप्नों के तीर सेबिंधी हुई नींदराख के रंग का … Read more

लोहा | एकांत श्रीवास्तव

लोहा | एकांत श्रीवास्तव

लोहा | एकांत श्रीवास्तव लोहा | एकांत श्रीवास्तव जंग लगा लोहा पाँव में चुभता हैतो मैं टिटनेस का इंजेक्शन लगवाता हूँलोहे से बचने के लिए नहींउसके जंग के संक्रमण से बचने के लिएमैं तो बचाकर रखना चाहता हूँउस लोहे को जो मेरे खून में हैजीने के लिए इस संसार मेंरोज लोहा लेना पड़ता हैएक लोहा … Read more

रास्ता काटना | एकांत श्रीवास्तव

रास्ता काटना | एकांत श्रीवास्तव

रास्ता काटना | एकांत श्रीवास्तव रास्ता काटना | एकांत श्रीवास्तव भाई जब काम पर निकलते हैंतब उनका रास्ता काटती हैं बहनेंबेटियाँ रास्ता काटती हैंकाम पर जाते पिताओं काशुभ होता है स्त्रियों का यों रास्ता काटना सूर्य जब पूरब से निकलता होगातो निहारिकाएँ काटती होंगी उसका रास्ताॠतुएँ बार-बार काटती हैंइस धरती का रास्ताकि वह सदाबहार रहेपानी … Read more

बिजली | एकांत श्रीवास्तव

बिजली | एकांत श्रीवास्तव

बिजली | एकांत श्रीवास्तव बिजली | एकांत श्रीवास्तव बिजली गिरती हैऔर एक हरा पेड़ काला पड़ जाता हैफिर उस पर न पक्षी उतरते हैंन वसंत एक दिन एक बढ़ई उसे काटता हैऔर बैलगाड़ी के पहिए मेंबदल देता है दुख जब बिजली की तरह गिरता हैतब राख कर देता हैया देता है नया एक जन्म।

बुनकर की मृत्यु | एकांत श्रीवास्तव

बुनकर की मृत्यु | एकांत श्रीवास्तव

बुनकर की मृत्यु | एकांत श्रीवास्तव बुनकर की मृत्यु | एकांत श्रीवास्तव एक उसने मिट्टी तेल छिड़ककरआग लगा लीवह झूल गया फंदे सेउसने छलाँग लगा दी गहरे जलाशय मेंखा लिया जहरमाहुरतो क्या अपने आत्म को हत्या तकले जाने का जिम्मेवार वह खुद ? पंख काटकर पक्षी को छोड़ देना आजादजीवन-दान नहींजंगल जलाकर हिरणों कोछोड़ देना … Read more

बेटे के लिए विदा-गीत | एकांत श्रीवास्तव

बेटे के लिए विदा-गीत | एकांत श्रीवास्तव

बेटे के लिए विदा-गीत | एकांत श्रीवास्तव बेटे के लिए विदा-गीत | एकांत श्रीवास्तव धरती पर पाँव धरे बिनागुँजाए बिना अपनी किलकारी से ब्रह्मांडखेले बिना मेरी गोद मेंसुने बिना मेरे होंठों से अपना नाममेरे बेटे, तुम चले गए कितनी दूरबादलों की पालकी में बैठकर लपेटकर सफेद कपड़े मेंअगस्त की इस गीली सुबहतीन फुट गहरी धरती … Read more

पिता की समाधि | एकांत श्रीवास्तव

पिता की समाधि | एकांत श्रीवास्तव

पिता की समाधि | एकांत श्रीवास्तव पिता की समाधि | एकांत श्रीवास्तव गाँव के घर में पिता की समाधि हैबखरी मेंआँवले के पेड़ के नीचेघर पहुँचता हूँ तो साफ करता हूँसमाधि पर झड़े हुए पत्तेधोता हूँ जल सेआसपास की जगह बुहारता हूँदिया जलाता हूँ चढ़ाता हूँ फूलतो पिता पूछते हैं जैसेबड़े दिनों में आए बेटाकहाँ … Read more

नशा | एकांत श्रीवास्तव

नशा | एकांत श्रीवास्तव

नशा | एकांत श्रीवास्तव नशा | एकांत श्रीवास्तव बचपन में माँ की दुलार का नशासूर्य के उगने और डूबने कापीतल की जल भरी थाली मेंचाँद के उतरने का नशानशा माँ के कच्चे गाढ़े दूध कातितली का और फूल का नशागिरने और चलने का नशाभाषा की भूल-भुलैया में भटकने कापत्तों का, बूँदों का, कागज की नावों … Read more

दिया-बाती | एकांत श्रीवास्तव

दिया-बाती | एकांत श्रीवास्तव

दिया-बाती | एकांत श्रीवास्तव दिया-बाती | एकांत श्रीवास्तव यह किसका घर हैकि हुई नहीं अभी तक दिया-बाती!कभी का हो चुका सूर्यास्तकभी का घिर चुका अँधेरा चुप बैठे हैं लोगघर के आँगन मेंकोई कुछ नहीं बोलताकोई नहीं चौंकता किसी पक्षी की आवाज सेसड़क से गुजरते लोगइसे देखते हैं कुछ अफसोस सेऔर गहरी साँस खींचकर बढ़ जाते … Read more

ट्रेन में सिक्के गिनता अंधा भिखारी | एकांत श्रीवास्तव

ट्रेन में सिक्के गिनता अंधा भिखारी | एकांत श्रीवास्तव

ट्रेन में सिक्के गिनता अंधा भिखारी | एकांत श्रीवास्तव ट्रेन में सिक्के गिनता अंधा भिखारी | एकांत श्रीवास्तव वह सिक्के गिनता हैपचास के और एक रुपये के सिक्केधड़धड़ाती ट्रेन में खड़ा एक तरफमुसाफिरों से भरी बोगी मेंप्रफुल्ल उँगलियों की आँखों से देखता हुआ वह सिक्के गिनता हैकि ॠतु के पहले-पहले फूल वह गिनता हैवह गिनता … Read more