साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव साँझ का आकाशगेरू के रंग का उड़े सारसहिलीं फुनगियाँधवल काँस-फूलों पर गिर गया गुलालनाव के पाल-सासाँझ का आकाशजोर-जोरहिलता हुआ हवा में दिया बाती के बेरमजूर के पंख-साधरती की थकी हुई देह पर फैला हुआ दुःस्वप्नों के तीर सेबिंधी हुई नींदराख के रंग का […]
Tag: Ekanta Shrivastava
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लोहा | एकांत श्रीवास्तव
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