साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव
साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव

साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव

साँझ का आकाश | एकांत श्रीवास्तव

साँझ का आकाश
गेरू के रंग का

उड़े सारस
हिलीं फुनगियाँ
धवल काँस-फूलों पर गिर गया गुलाल
नाव के पाल-सा
साँझ का आकाश
जोर-जोर
हिलता हुआ हवा में

दिया बाती के बेर
मजूर के पंख-सा
धरती की थकी हुई देह पर फैला हुआ

See also  रेत में दोपहर

दुःस्वप्नों के तीर से
बिंधी हुई नींद
राख के रंग का साँझ का आकाश।

Leave a comment

Leave a Reply